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अफसोस! मुहम्मद अली से भिड़ने वाले कौर सिंह आज जी रहे गुमनामी का जीवन

अर्जुन अवॉर्ड व पद्मश्री से सम्मानित कौर सिंह को देशवासी आज भुला चुके हैं लेकिन उनकी बायोपिक के बाद फिर से उनके संघर्ष व उपलब्धियों से परिचित हो पाएंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 09:49 AM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 02:14 PM (IST)
अफसोस! मुहम्मद अली से भिड़ने वाले कौर सिंह आज जी रहे गुमनामी का जीवन
अफसोस! मुहम्मद अली से भिड़ने वाले कौर सिंह आज जी रहे गुमनामी का जीवन

गौरव सूद, पटियाला। एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप 1980 व महान खिलाड़ी मुहम्मद अली से एग्जीबिशन मैच में भिड़ने वाले भारतीय बॉक्सिंग स्टार कौर सिंह के जीवन पर जल्द ही पंजाबी फिल्म बनने जा रही है। अर्जुन अवॉर्ड व पद्मश्री से सम्मानित कौर सिंह को देशवासी आज भुला चुके हैं, लेकिन उनकी बायोपिक के बाद फिर से उनके संघर्ष व उपलब्धियों से परिचित हो पाएंगे।

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मेरी उपलब्धियों को भुला दिया गया

फिल्म अगले साल की शुरुआत में रिलीज हो सकती है। फिल्म में कौर सिंह का किरदार कर्म बाठ निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि शूटिंग शुरू होने से पहले कई महीनों तक कनाडा में बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ली। उनके अनुसार, शूटिंग लगभग खत्म हो चुकी है। दूसरी तरफ संगरूर के एक छोटे से गांव खनाल खुर्द में जन्मे व गुमनामी का जीवन जी रहे 71 वर्षीय कौर सिंह का कहना है कि मेरी उपलब्धियों को भुला दिया गया।

कौर सिंह आर्थिक तंगी से गुजर रहे

उम्मीद है कि फिल्म मेरे जीवन की असल तस्वीर पेश कर बता पाएगी कि किन हालात में पदक जीते। बता दें कि कुछ साल से स्वास्थ्य समस्याओं के चलते कौर सिंह आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। मीडिया में जब उनका दर्द बयां करती हालत की खबरें आईं तो दिसंबर 2018 में पंजाब के मुख्यमंत्री कप्तान अमरिंदर सिंह ने मेडिकल खर्च के लिए उन्हें दो लाख व अभिनेता शाह रुख खान ने पांच लाख रुपये दिए थे।

ऐसे बनी फिल्म की योजना

‘पद्मश्री कौर सिंह’ फिल्म के डायरेक्टर और लेखक विक्रम प्रधान के अनुसार, इस बायोपिक का आइडिया उन्हें तब आया जब वे कौर सिंह से मिले। उसके बाद वे कौर सिंह से सात-आठ बार मिले और स्क्रिप्ट तैयार की।

पहली स्पर्धा हारने के बाद आया बदलाव

कौर सिंह बताते हैं कि 1971 के भारत-पाक युद्ध के दो साल बाद अमृतसर के बलजीत सिंह जौहल ने पहली बार उनके अंदर छिपे बॉक्सर को पहचाना और राज्य स्तरीय खेलों में हिस्सा लेने के लिए भेजा। पहली प्रतियोगिता में वे हार गए। उसके बाद खेल से इतना प्यार हो गया कि बॉक्सिंग के बिना कुछ भी करना अच्छा नहीं लगा। तीन साल की मेहनत के बाद नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में क्वालीफाई कर सात साल तक खेला। हवलदार के रूप में सेना में शामिल हुए कौर सिंह ने बताया कि इसके बाद लॉस एंजिलिस में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स और 1984 ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। उन्हें विशिष्ट सेवा पदक से भी नवाजा गया था।

कौर सिंह की उपलब्धियां

  • 1979 से 1983 तक सीनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल
  • 1980 में मुंबई में आयोजित एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल
  • 1982 में एशियन गेम्स हेवीवेट कैटेगरी में गोल्ड और अर्जुन अवार्ड
  • 1983 खेल जगत में शानदार योगदान के लिए पद्मश्री अवार्ड
  • 1984 में ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने के बाद रिटायरमेंट

बहुत दमदार थे मुहम्मद अली के मुक्के

मुहम्मद अली के साथ दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में आयोजित एग्जीबिशन मैच की यादें साझा करते कौर सिंह ने बताया कि उनके मुक्के बहुत दमदार थे। उसका कद छोटा था, लेकिन वह काफी फुर्तीले थे। वह कहते हैं, ‘जब भी उन पर प्रहार करने जाता तो वह मेरे पंच को दाएं हाथ से रोकते और साथ ही अपने बाएं हाथ से पूरी तेजी से प्रहार करते। यह काफी हैरान करने वाला था।’


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