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घग्गर दरिया बारिश में बनता है दर्द का सबब, किनारे पक्के नहीं होने से मचाता है तबाही

साल 1880 में महाराजा पटियाला ने डेराबस्सी से बनूड़ राजपुरा के रास्ते खनौरी तक इलाके के 200 गांवों तक पानी पहुंचाने व 40 हजार एकड़ में होने वाली खेती के लिए घग्गर दरिया का निर्माण करवाया था लेकिन घग्गर दरिया के किनारे कच्चे होने से साथ लगते करीब 50 गांवों में दरिया तबाही का सबब बनता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 09:02 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 09:02 PM (IST)
घग्गर दरिया बारिश में बनता है दर्द का सबब,  किनारे पक्के नहीं होने से मचाता है तबाही
घग्गर दरिया बारिश में बनता है दर्द का सबब, किनारे पक्के नहीं होने से मचाता है तबाही

प्रिस तनेजा, राजपुरा (राजपुरा)

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साल 1880 में महाराजा पटियाला ने डेराबस्सी से बनूड़, राजपुरा के रास्ते खनौरी तक इलाके के 200 गांवों तक पानी पहुंचाने व 40 हजार एकड़ में होने वाली खेती के लिए घग्गर दरिया का निर्माण करवाया था, लेकिन घग्गर दरिया के किनारे कच्चे होने से साथ लगते करीब 50 गांवों में दरिया तबाही का सबब बनता है। इसके चलते गांववासी मानसून में तो सारी रात पहरा देकर पानी के ओवरफ्लो होने पर रेत के कट्टों के साथ बहाव को रोकने का कार्य करते रहते हैं, उसके बावजूद भी दरिया का पानी खेतों में खड़ी फसल को रौंदता हुआ गांव में घुस जाता है और भारी तबाही मचाता है। संबंधित विभाग साफ-सफाई व बाढ़ कंट्रोल रूम स्थापित करने के दावे तो बहुत करता है, लेकिन दावे केवल कागजों तक ही सीमित रहते हैं। गांव वासियों को केवल खून के आंसू पीने पड़ते हैं। घग्गर दरिया में चंडीगढ़ की तरफ से भरकर आने वाले गंदे नाले का पानी पच्ची दर्रा व एसवाईएल नहर के पानी मिक्स हो जाने से पानी का बहाव तेज हो जाता है और वह बनूड़, राजपुरा और घनौर के 50 से ज्यादा गांवों में ओवर फ्लो होकर तबाही मचाता रहता है। गंदगी से लबालब भरकर आता है पच्ची दर्रा

चंडीगढ़ के गंदेपानी की निकासी से लबालब भरा गंदा नाला पच्ची दर्रा व एसवाईएल नहर में मिलकर बनूड़ व घनौर के करीब 50 गांवों से होता हुआ हरियाणा पंजाब बार्डर पर स्थित गांव लाछड़ू खुर्द की बुर्जी नंबर-150 में शामिल हो जाता है। पच्ची दर्रा में बनूड़ की फैक्ट्रियों व कालेजों से निकलने वाला गंदा पानी, शराब फैक्ट्री का विषैला पानी, गांवों से बहने वाला सीवरेज युक्त पानी भी गंदे नाले से पच्ची दर्रा में शामिल होकर एसवाईएल नहर व घग्गर दरिया में मिलकर पानी का बहाव तेज करता है, लेकिन घग्गर दरिया में फैली गंदगी, विषैली जड़ी बूटियों और मुर्दा जानवरों के होने व किनारे कच्चे होने से पानी किनारे तोड़ता हुआ खेतों व घरों में घुस जाता है। इन गांवों में मचाता है तबाही

बारिश के बाद आपदा वाले बनूड़ के गांव नेपरां, आलमपुर, थूहा, गारदीनगर, चमारू, मदनपुर, शामदू, जंडौली, खराजपुरा व घनौर के गांव बठौणियां, मेहताबगढ़, समसपुर, ननहेड़ी, महदूदां, माड़ू, मंजौली, खनौरी खेड़ा, लोह सिबली, कपूरी, उंटसर, सौंटा, रामपुर, सराला कलां, सराला खुर्द, लाछड़ू कलां, लाछड़ू खुर्द, कामी छोटी, कामी कलां, पिप्पल मंगोली, जंड मंगोली सहित 50 से ज्यादा गांव घग्गर के कच्चे किनारों से किसानों के खेतों में लगी फसल को बर्बाद कर देता है। क्या कहते हैं गांववासी

गांव सराला कलां के तरसेम सिंह का कहना है पिछले पांच दशकों से वह घग्गर के पानी की मार झेल रहे हैं। घग्गर दरिया के किनारे कच्चे होने से दरिया के किनारों की दरार बढ़ रही है और पानी ओवरफ्लो होकर हमारे खेतों में घुस जाता है और पूरी फसल बरबाद कर देता है। इतना ही नहीं, उनके गांव को जोड़ने वाले एक छोटे से पुल की जरूरत है लेकिन नेता वायदे तो करते हैं लेकिन आजतक किसी ने पुल का निर्माण तक नहीं करवाया। इसके चलते उन्हें पांच किलोमीटर लंबा रास्ता तय कर अपने गांव में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। गांव सराला खुर्द के अमरीक सिंह ने बताया कि जबसे से पच्ची दर्रा व एसवाईएल नहर का पानी घग्गर में शामिल होना शुरू हुआ है तो पानी का बहाव तेज हुआ है। बारिश के मौसम में पानी पुल के उपर से बहता है और घनौर के नजदीकी दो दर्जन गांवों का संपर्क इलाके से टूट जाता है। इसके अलावा पानी किनारे कच्चे होने से लोगों के खेतों व घरों में घुस जाता है इसका मुख्य कारण है। दरिया में फैली गंदगी, जड़ी बूटियां व भारी पत्थर जो पानी की रफ्तार में रुकावट खड़ी करता है। साफ-सफाई के लिए जब हमारे पास ग्रांट आती है तो ठेकेदारों के माध्यम से सफाई व्यवस्था करवा दी जाती है। इसके लिए कई स्थानों पर कार्य चल रहे हैं।

बचन सिंह, जेई, नहरी विभाग


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