चुनावी दौर में बढ़ी नाड़ की आग, लुधियाना में सबसे ज्यादा 1035 केस
पटियाला लोस चुनावी दौर में गेहूं की नाड़ जलाने वालों पर एक्शन लेने में सरकारी स्तर ढीली कार्रवायी तो राज्य में एअर पॉल्यूशन लेवल बढ़ गया। पिछले दो महीने की बात करें तो गेहूं का नाड़ जलाने के कारण हवा की गुणवत्ता पर इसका काफी असर पड़ा है।
गौरव सूद, पटियाला
चुनावी दौर में गेहूं की नाड़ जलाने वालों पर एक्शन लेने में सरकारी स्तर ढीली कार्रवाई के चलते राज्य में एयर पॉल्यूशन लेवल बढ़ गया है। इसके चलते दो माह में हवा की गुणवत्ता पर इसका काफी असर पड़ा है। गत एक माह के दौरान एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 200 के पार पहुंच गया था। अब जब नाड़ जलाने का क्रम बीत गया है, तो राज्य में एक्यूआइ एक बार फिर सुधरा।
वहीं पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने इस सीजन राज्य भर में गेहूं की नाड़ जलाने के 11,698 केस आइडेंटीफाई किए हैं। गत 16 मई तक यह आंकड़ा 5581 था और 20 मई तक बढ़कर 8921 हो गया था।
जिला स्तर पर बात करें तो गेहूं की नाड़ जलाने के मामलों में सरकार की स्कीमों को सबसे बड़ा ठेंगा लुधियाना ने दिखाया है। अब तक के पराली फूंकने के केसों में राज्य के सभी जिलों में सबसे ज्यादा 1035 केस लुधियाना में रहे, जबकि 1019 केसों के साथ दूसरे नंबर पर अमृतसर, तो 877 केसों के साथ तीसरे नंबर पर संगरूर रहा है। जिला बठिडा 796 केसों के साथ पांचवें पर स्थान पर रहा। सीएम कै. अमरिदर के जिला पटियाला की रिपोर्ट कुछ संतोषजनक है क्योंकि 518 केसों के साथ पटियाला राज्य के 22 जिलों में 12वें स्थान पर है। गेहूं की नाड़ न जलाने के मामले में सबसे बेहतर प्रदर्शन रोपड़ जिले का रहा है। जहां नाड़ जलाने के कुल 89 केस सामने आए हैं। पिछले साल भी 20 मई तक रोपड़ जिलें में नाड़ जलाने के कुल 70 केस सामने आए थे।
गेहूं की नाड़ जलाने की घटनाओं को आइडेंटीफाई करने के लिए पंजाब पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (पीपीसीबी) द्वारा सेटेलाइट से मॉनीटरिग भी की जा रही है।
-----------
डीसी की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन, करेंगे कार्रवाई : चरणजीत
पीपीसीबी के पीआरओ चरणजीत सिंह ने बताया कि नाड़ जलाने के मामले में हर जिले में डीसी की अगुआई में कमेटी का गठन किया गया है। नाड़ जलाने का केस आइडेंटीफाई करने के लिए लुधियाना में सेटेलाइट मॉनीटरिग सेल स्थापित किया गया है, जहां से नाड़ जलाने की घटनाओं संबंधी तुरंत अधिकारियों के पास अलर्ट भेज दिया जाता है। जिसके आधार पर टीम मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लेती है और नियमानुसार कार्रवाई करती है।
---------------
एक्स्पर्ट व्यू
चुनावों के दौरान गेहूं की नाड़ जलाने की घटनाओं में ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। इसका कारण है कि प्रशासन और अधिकारी चुनाव में व्यस्त में थे। ऐसे में किसानों को पता था कि इसके कारण अधिकारी साइट पर पहुंचकर स्थिति चेक नहीं सकेंगे। इसका फायदा उठाने की कोशिश में नाड़ जलाने के केसों में बढ़ोतरी हुई और इनके कारण हवा पर इसका असर पड़ना तय था। इसके तहत राज्य के एक्यूआइ में खतरनाक स्तर तक बढ़ोतरी दर्ज की गई। यह भी जरूरी नहीं कि नाड़ को किसान ने आग लगाई हो, क्योंकि तेज गर्मी के चलते बिजली की तारों में शॉर्ट सर्किट से भी खेतों में आग लग जाती है। इससे न केवल कई बार गेहूं की फसल बल्कि नाड़ भी जल जाती है।
-पर्यावरण इंजीनियर, लवनीत दुबे।
-----------------
चुनाव का फायदा उठाने की कोशिश, 4 दिनों में हुई बढ़ोतरी
नाड़ जलाने के मामले में किसानों द्वारा चुनावी माहौल को भुनाने की कोशिश की गई है, क्योंकि 16 मई के बाद नाड़ जलाने के केसों में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई है। अगर नाड़ जलाने में पहले तीन स्थानों पर रहने वाले जिलों की ही बात करें तो लुधियाना में 16 मई को नाड़ जलाने के 190 मामले सामने आए थे, जोकि अब तक बढ़कर 1035 तक पहुंच गए हैं। वहीं अमृतसर में नाड़ जलाने के 536 मामले बढ़कर 1019 और संगरूर में 527 से मामले बढ़कर 877 तक पहुंच गए। इससे जाहिर है कि चुनाव में प्रशासन का ध्यान डायवर्ट होने के चलते सीधे तौर पर इसे भुनाने की कोशिश की गई है।
-----------
जिला मुताबिक गेहूं की नाड़ जलाने का आंकड़ा जिला 16 मई 20 मई कुल केस
अमृतसर 536 856 1019
बरनाला 239 418 480
बठिडा 522 711 796
फतेहगढ़ साहिब 66 160 216
फरीदकोट 181 253 373
फाजिल्का 239 385 532
फिरोजपुर 322 560 794
गुरदासपुर 491 589 673
होशियारपुर 146 195 263
जालंधर 176 373 571
कपूरथला 237 361 441
लुधियाना 190 591 1035
मानसा 298 355 360
मोगा 330 460 724
मुक्तसर 187 413 686
नवांशहर 45 110 172
पठानकोट 68 90 111
पटियाला 224 408 518
रोपड़ 25 69 89
मोहाली 64 84 93
संगरूर 527 778 877
तरनतारन 468 702 875
कुल 5581 8921 11698
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप