इन बसों का पता नहीं कि जा कहां रही हैं... परिचालकों से पूछो तो ऐसा मिलता है जवाब
आप बस अड्डे या स्टॉप पर खड़े हैं। आपके सामने बस आकर रुक जाती है लेकिन बस कहां जा रही है इसके बारे में किसी को पता नहीं लग पाता।
सरहिंद [दीपक सूद]। आप बस अड्डे या स्टॉप पर खड़े हैं। आपके सामने बस आकर रुक जाती है, लेकिन बस कहां जा रही है इसके बारे में किसी को पता नहीं लग पाता। पीआरटीसी की बसों का हाल यह है कि ज्यादातर बसों पर रूट के बोर्ड तक नहीं लगाए होते। इससे यात्री परेशान होते हैं। जब उन्हें रूट के बारे में पता करना होता है तो कई कंडक्टरों का व्यवहार यात्रियों को निराश कर देता है।
बात रविवार की है। पटियाला से आने वाली कई बसों के आगे कोई बोर्ड नहीं लगा था। समय कम होने कारण पहले से ही जल्दबाजी करने वाले कंडक्टरों से जब कोई यात्री पूछता है कि बस कहां जानी है तो उनका जवाब संतुष्ट करने वाला नहीं होता। ऐसे में विभाग में सुधार की उम्मीद कैसे की जा सकती है। इसके अलावा बसों में कई अन्य सुविधाओं का भी अभाव देखने को मिल रहा है। जनहित के इस मुद्दे पर शहर के कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने पीआरटीसी से सुधार लाने की मांग की।
संबंधित डिपो को हिदायत देंगे
पीआरटीसी के चेयरमैन केके शर्मा के पीए अमनदीप सिंह ने कहा कि उनके ध्यान में अभी मामला आया है। वे चेयरमैन के माध्यम से संबंधित डिपो को हिदायत करेंगे और लापरवाही बरतने वालों खिलाफ कार्रवाई होगी।
कार्रवाई होनी चाहिए : भुट्टा
जिला परिषद के पूर्व चेयरमैन बलजीत सिंह भुट्टा ने कहा कि जो भी सरकारी बस वाले नियमों की उल्लंघना करते हैं, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। पीआरटीसी के अधिकारी सरहिंद बस अड्डे के उद्घाटन पर दावे तो बड़े बड़े करते थे। उन्हें जमीनी स्तर पर काम करना चाहिए।
निजी ट्रांसपोर्टरों को हो रहा फायदा
राष्ट्रीय वाल्मीकि सभा के चेयरमैन कुलदीप सहोता ने कहा कि सरकारी बस वालों का यह निजी ट्रांसपोर्टरों को फायदा पहुंचाने का तरीका है। जानबूझकर बोर्ड नहीं लगाए जाते। किसी बस में बोर्ड को उल्टा कर दिया जाता है। इससे यात्री परेशान होते हैं।
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