कोच साथ होने से मिलती हिम्मत, सुधर जाती है प्रफॉर्मेस
पटियाला कोच के साथ होने से ही इतनी हिम्मत मिल जाती है कि जो थ्रो बिना कोच के 66.21 मीटर रहा वह कोच के साथ होने से 68.41 हो गया।
जागरण संवाददाता, पटियाला : कोच के साथ होने से ही इतनी हिम्मत मिल जाती है कि जो थ्रो बिना कोच के 66.21 मीटर रहा वह कोच के साथ होने से 68.41 हो गया। यह बता सीनियर नेशनल ओपन एथलेटिक्स में हैमर थ्रो इवेंट में गोल्ड विजेता तरुणवीर सिंह ने कोच मलकीत सिंह को नमन करते हुए कहीं। उन्होंने बताया कि कई बार होता है कि पहल दो ट्राई में थ्रो ठीक नहीं होता जिससे वह नर्वस हो जाते हैं। ऐसे में कोच हमेशा उन्हें हिम्मत देते हैं और कोच से बात करने के बाद ही प्रफॉर्मेंस सुधर जाती है। लॉकडाउन में भी जहां खेल गतिविधियां पूरी तरह से बंद थी। ऐसे में कोच ने खुद उनका टाइम टेबल तैयार किया और वीडियो कॉल के जरिए प्रेक्टिस जारी रखी, ताकि इस समय दौरान वह अनफिट ना हो जाएं और आने वाले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए तैयार रहे सकें।