अनलॉक-1 में बढ़ी कोरोना की रफ्तार, 18 दिन में 81 पॉजिटिव
पटियाला लॉकडाउन के अनलॉक होने के बाद जहां कामकाज ने रफ्तार पकड़ी है। ऐसे में कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।
गौरव सूद, पटियाला
लॉकडाउन के अनलॉक होने के बाद जहां कामकाज ने रफ्तार पकड़ी है। ऐसे में कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। अनलॉक के 18 दिन में ही कोरोना के 81 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि लॉकडाउन के दौरान 71 दिन में 119 मामले सामने आए थे। इसके साथ ही लैब में कोरोना टेस्टिग क्षमता बढ़ने के साथ टेस्टिग की रफ्तार भी लॉकडाउन के मुकाबले लगभग तीन गुना तक बढ़ गई है। मई में जहां लॉकडाउन दौरान केवल 3963 सैंपलों की टेस्टिग हुई, वहीं अनलॉक पीरियड में यह सैंपलिग लगभग ढाई गुना तक बढ़कर 9374 हो चुकी है। टेस्टिग बढ़ने का पॉजिटिव प्रभाव यह है कि इससे कोरोना के बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।
अनलॉक के दौरान संक्रमित मरीजों में ज्यादा संख्या दूसरे राज्यों और विदेश से लौटे व्यक्तियों की है। वहीं जिला में कोरोना पीड़ितों के स्वस्थ होने का रिकवरी रेट भी काफी अच्छा है। अब तक जिले में कुल 200 कोरोना पीड़ित मरीजों में से कुल 131 स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं। दूसरे राज्यों से लौटे व्यक्ति सबसे ज्यादा संक्रमित
अनलॉक के दौरान सबसे ज्यादा संक्रमित दूसरे राज्यों से लौटे व्यक्ति हैं। अब तक 18 दिन में जहां दूसरे राज्यों से लौटने वाले करीब 39 व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं। वहीं, चार विदेश से लौटे व्यक्ति भी शामिल हैं। 15 हेल्थ वर्कर हैं, जोकि अस्पताल में ड्यूटी दौरान संक्रमित हुए हैं। जबकि 14 ऐसे व्यक्ति शामिल हैं जो दूसरी बीमारियों से पीड़ित थे और अस्पताल में इलाज करवाने आए थे जहां कोरोना जांच संबंधी सैंपल लेने पर उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जबकि नौ व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव व्यक्तियों के संपर्क में आने से संक्रमित हुए हैं और इन्हें कंटेक्ट ट्रेसिग के जरिए ढूंढकर इनका सैंपल लिया गया है।
कोट्स जिले में फ्लू के लक्षणों, पॉजिटिव आए व्यक्तियों के संपर्क में आने वाले, दूसरे राज्यों, विदेश से लौटे यात्रियों, श्रमिकों, टीबी के मरीजों, सेहत विभाग के फ्रंटलाइन वर्करों, पुलिस मुलाजिमों, सेनेटरी वर्करों की सैंपलिग की जा रही। वहीं, विदेश और दूसरे राज्यों से लौटने वाले व्यक्तियों की सूचना विभाग को देने की अपील की, ताकि उनकी सैंपलिग करके कोरोना को फैलने से रोका जा सके।
डॉ. हरीश मल्होत्रा,सिविल सर्जन, राजिंदरा अस्पताल