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कोरोना ने दिखाई गांव और कस्बों में भी डिजिटल भुगतान की राह

पटियाला कोरोना संकट में जीवन शैली में तेजी से बदलाव आया है। बाजार के तौर-तरीके बदल रहे हैं और नोटों का प्रचलन तेजी से कम होना शुरू हो गया है। छोटी से छोटी वस्तुओं की खरीद में अब डिजिटल पेमेंट तेजी से बढ़ी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 12:18 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 06:08 AM (IST)
कोरोना ने दिखाई गांव और कस्बों में भी डिजिटल भुगतान की राह
कोरोना ने दिखाई गांव और कस्बों में भी डिजिटल भुगतान की राह

जागरण टीम, राजपुरा, बनूड़, समाना, पटियाला : कोरोना संकट में जीवन शैली में तेजी से बदलाव आया है। बाजार के तौर-तरीके बदल रहे हैं और नोटों का प्रचलन तेजी से कम होना शुरू हो गया है। छोटी से छोटी वस्तुओं की खरीद में अब डिजिटल पेमेंट तेजी से बढ़ी है। अनुमान है कि बड़े शहरों में डिजिटल भुगतान की प्रक्रिया में 70 फीसद हिस्सा डिजिटल पेमेंट का हो गया है। बड़े शहरों में ये कोशिशें कई साल से चल रही थीं। सरकार की प्राथमिकता भी डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने की रही है। बावजूद इसके गांव स्तर पर डिजिटल पेमेंट को कोई खास सफलता नहीं मिल रही थी, लेकिन कोरोना के दौर में गांव स्तर पर भी छोटे व्यापारियों ने भी डिजिटल भुगतान को अपनाया है। हालांकि स्वाइप मशीनें गांव स्तर पर इंस्टॉल नहीं हुई, लेकिन गूगल पे और पेटीएम के जरिए पेमेंट का रूझान जरूर बढ़ा है। यहां तक कि किसान फसलों के लिए बीज खरीदने के लिए भी डिजिटल भुगतान को प्राथमिकता दे रहे हैं।

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होटल रेस्टोरेंट में केवल डिजिटल भुगतान

कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन ने सुरक्षा के मद्देनजर लोगों की जीवन शैली को बदल कर रख दिया है। इससे डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिला है। अनलॉक -1 में प्रशासन द्वारा लोगों को छूट दी गई, लेकिन इसमें डिजिटल पेमेंट की बंदिशें भी रखी हैं। अब होटल एवं रेस्टोरेंट में रहने के दौरान पूरे समय फेस कवर अथवा मास्क पहनना अनिवार्य हो गया है। राजपुरा के प्रसिद्ध होटल मयूर के मालिक महिदर कुमार पप्पू ने बताया कि मॉल, होटल एवं रेस्टोरेंट में अब भुगतान डिजिटल पेमेंट से ही हो रहा है। अब कैश भुगतान का रूझान काफी सीमित हो चुका है। डिजिटल भुगतान से बीज की खरीद कर रहे किसान

लॉकडाउन दौरान डिजिटल भुगतान का रूझान इतना बढ़ चुका है कि किसान भी डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता दे रहे हैं। राजपुरा में फसलों के बीज विक्रेता शाम सुंदर वधवा ने बताया कि ग्रामीण इलाकों से आने वाले किसान भी डिजिटल पेमेंट करने लगे हैं। इसके लिए पेटीएम, क्रेडिट कार्ड, गूगल पे व अन्य साधनों से भुगतान कर रहे हैं। समोसे विक्रेता ने भी अपनाया पेटीएम

यही नहीं, समोसे की रेहड़ी लगाने वाले मुकेश कुमार ने भी पे-टीएम से पैसे देने के बारे में अपनी रेहड़ी पर लिखकर लगाया हुआ है। वह लोगों को फिजिकल मनी देने की बजाए पेटीएम के जरिए भुगतान करने के लिए कहते हैं और जागरूक भी करते है। रेहड़ी से लेकर मजदूरों के लिए राहत बनी डिजिटल पेमेंट

कोरोना के बाद छोटे व्यापारी में भी ई-बैंकिग और डिजिटल पेमेंट का रूझान बढ़ा है। बनूड़ में फ्रूट की रेहड़ी लगाने वाले अंबू ने बताया कि ग्राहक भुगतान के लिए गूगल-पे से पेमेंट करने में दिलचस्पी ले रहा है। इसका उन्हें यह फायदा है कि इसी बहाने कुछ सेविग हो जाती है। दूसरा माल खरीदने के लिए आढ़ती को सीधी पेमेंट करने में आसानी रहती है और मेनुअल हिसाब भी नहीं रखना पड़ता। बनूड़ में ही डाक्युमेंट सेंटर चलाने वाले रविदर सिंह का कहना है कि श्रमिक वर्ग को ई-बैंकिग का ज्यादा लाभ मिल रहा है। दिन में करीब 40 से 50 मनी ट्राजेंक्शन श्रमिक करवा रहे हैं।

ठेकों पर भी डिजिटल भुगतान बढ़ा

बड़े शहरों के बाद अब छोटे कस्बों में भी डिजिटल भुगतान को अपना लिया है। जिसके चलते ज्यादातर लोग अपने मोबाइल रिचार्ज, डिश रिचार्ज व अन्य सामान खरीदते हुए पेटीएम, फोन-पे या एयरटेल मनी के जरिए रिचार्ज कर रहे हैं। डिश रिचार्ज कर रहे हैं या अन्य जरूरी सामान जैसे कराना कंफेक्शनरी तथा पेट्रोल पंप पर भी डिजीटल भुगतान के जरिए ही भुगतान कर रहे हैं। इसी तरह ठेके जहां पर हमेशा दुकान पर नकद भुगतान किया जाता था, वहां अब स्वाइप मशीन, पेटीएम, फोन पे, गूगल पे के जरिए भुगतान कर रहे हैं। जिससे ठेके वालों को भी अपना हिसाब रखने में आसानी हो रही है तथा कैश संभालने की झंझट से बचाव हो रहा है। इसी तरह पेट्रोल पंप तथा अन्य सामान भी डिजिटल से पेमेंट ले रहे हैं। इसी तरह प्राइवेट सेक्टर से मोबाइल दुकानों तथा इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकानों पर ज्यादातर देखने में आया है कि वह अपने फोन पर गूगल पे के जरिए टीवी फ्रिज की पेमेंट कर रहे हैं। डिजिटल पेमेंट के दौरान बरतें सावधानिया

- गूगल पे ऐप में इस्तेमाल होने वाले अपने कोड के बारे में किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं बताएं। यह पिन आपके एटीएम पिन के जैसा ही है इसलिये इसको कभी भी किसी से न शेयर करें।

- किसी बैंक या अन्य से मिलते जुलते ई-मेल पर पर्सनल जानकारी देने से बचें।

- पायरेटेड सॉफ्टवेयर से सावधान रहें।

- अपने नेट बैंकिग का पासवर्ड, ओटीपी, पिन, कार्ड वेरिफिकेशन कोड और यूपीआई पिन को किसी के साथ साझा ना करें.

- नेट बैंकिग के लिए आपको हमेशा वेरिफाइड या भरोसेमंद ब्राउजर का ही इस्तेमाल करना चाहिए ।


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