13 से शुरू होगी गेहूं की खरीद, पास सिस्टम होगा लागू
प्रदेश में गेहूं की खरीद 10 अप्रैल से हो रही है लेकिन जिले में यह 13 अप्रैल के बाद से शुरू होगी। जिले में 15 स्थाई तथा छह सब यार्ड बनाए गए हैं। कुल 21 मंडियों के लिए 15 फूड सप्लाई इंस्पेक्टरों की ड्यूटियां लगाई गई हैं।
विनोद कुमार, पठानकोट : प्रदेश में गेहूं की खरीद 10 अप्रैल से हो रही है, लेकिन जिले में यह 13 अप्रैल के बाद से शुरू होगी। जिले में 15 स्थाई तथा छह सब यार्ड बनाए गए हैं। कुल 21 मंडियों के लिए 15 फूड सप्लाई इंस्पेक्टरों की ड्यूटियां लगाई गई हैं। जिला खुराक व सप्लाई कंट्रोलर सरदार निर्मल सिंह का कहना है कि कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन होगा।
किसानों की एंट्री करवाने के बजाय पास सिस्टम के जरिए मंडियों में किसानों को बुलाया जाएगा। इसके लिए जिला के करीब सात हजार किसानों की विभाग द्वारा रजिस्ट्रेशन कर ली गई है। मंडियों में किसानों को पास सिस्टम के अनुसार ही आने की इजाजत होगी ताकि भीड़ उत्पन्न न हो। जिला प्रशासन के आदेशों पर प्रत्येक मंडी में सैनिटाइजर का भी विशेष तौर पर प्रबंध रहेगा। सरदार निर्मल सिंह ने बताया कि इस साल जिला में 60792 मीट्रिक टन गेहूं खरीदे जाने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि उपरोक्त लक्ष्य के आधार पर पनग्रेन द्वारा 21514 मीट्रिक टन गेहूं की भराई के लिए अनुमानित 1435 बोरियों की जरुरत है जोकि इस समय पनग्रेन के पास मौजूद है। पनग्रेन द्वारा सारी खरीद नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के अधीन की जाएगी तथा प्रत्येक 30 किलोग्राम की होगी। जबकि, बाकी खरीद एजेंसियों द्वारा 50 किलोग्राम की प्रति बोरी की भराई की जाएगी।
कौन एजेंसी कितनी गेहूं खरीदेगी
21514 मीट्रिक टन पनग्रेन
10398 मीट्रिक टन मार्कफेड
10446 मीट्रिक टन पनसप
7457 मीट्रिक टन वेयरहाउस
10977 मीट्रिक टन द्वारा तथा एफसीआइ
सीधी अदायगी पर आढ़ती एसोसिएशन नाराज
आढ़ती एसोसिएशन जिला पठानकोट के प्रधान गुरनाम सिंह छीना ने फैसले पर आपत्ति जताई है। कहा कि 12 अप्रैल को गुरदासपुर में होने वाली महापंचायत में यहां कृषि कानून के खिलाफ अगली रणनीति तैयार की जाएगी। गेहूं की सीधे तौर पर किसानों के खाते में की जाने वाली अदायगी पर विरोध जताया जाएगा। किसानों की मिली जुली प्रतिक्रिया
आढ़ती ही बुरे वक्त में काम आते हैं : जसपाल सिंह
क्षेत्र के किसान जसपाल सिंह का कहना है कि एक बार तो सीधे सरकार अदायगी कर देगी। लेकिन, उसके बाद उनका ज्यादातर वास्ता आढ़तियों के साथ ही रहता है। लिहाजा, पुराने तरीके से भी यदि अदायगी हो जाए तो कोई एतराज नहीं है। अदायगी समय पर सुनिश्चित होनी चाहिए : राजीव सिंह
किसान राजीव सिंह का कहना है कि पुराने सिस्टम के हिसाब से भी अदायगी पर कोई एतराज नहीं है। बस सरकार आढ़तियों को समय सिर अदायगी करने के काम को यकीनी बनाए ताकि उन्हें परेशानियों का सामना न करना पड़े। सरकार का फैसला सराहनीय : गगन सिंह
किसान गगन सिंह का कहना है कि सरकार का फैसला सराहनीय है।किसानों के खाते में सीधे अदायगी होने से यहां उन्हें समय पर पैसे मिल जाएंगे, वहीं आढ़तियों के आगे-पीछे चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेगे।