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आठ साल बाद पूर्व सैनिक की पत्नी को मिला हक

भारतीय सेना सही मायनों में अपने सैनिकों व उनके परिवारों के मान सम्मान को बहाल रखते हुए उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए हमेशा वचनबद्ध है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 06:47 PM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 06:47 PM (IST)
आठ साल बाद पूर्व सैनिक की पत्नी को मिला हक
आठ साल बाद पूर्व सैनिक की पत्नी को मिला हक

संवाद सहयोगी, पठानकोट : भारतीय सेना सही मायनों में अपने सैनिकों व उनके परिवारों के मान सम्मान को बहाल रखते हुए उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए हमेशा वचनबद्ध है। ऐसी ही एक मिसाल स्टेशन हेड क्वार्टर की ओर से स्थापित वैटर्न सहायता केंद्र (वीएसके) से मिलती है।

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इसी कड़ी में इस वेटर्न सहायता केंद्र के इंचार्ज ने एक ऐसी संघर्षशील पूर्व सैनिक की पत्नी को उसका हक दिलाया है। जिस पूर्व सैनिक ने शादी के कुछ वर्षों बाद ही अपनी पहली पत्नी को छोड़ दूसरी शादी कर ली थी। यह दुख भरी कहानी स्थानीय ढांगू पीर मोहल्ला वासी वंदना कुमारी की है।

उसकी शादी वर्ष 2001 में डोगरा रेजीमेंट के लांस नायक दविन्द्र सिंह के साथ हिमाचल में हुई थी। वंदना ने बताया कि शादी के कुछ वर्षों बाद ही उसके पति ने उसे तंग करना शुरू कर दिया और 2011 में उसे घर से निकाल दिया। 2011 में ही उसने अपने पति पर खर्चे का केस किया, जो दो साल तक चला व 2013 में फैसला उसके हक में आया। फैसला हुआ कि उसका पति उसे 15 हजार रुपये प्रति महीना देगा, मगर उसके पति ने उसे कोई पैसा नहीं दिया और प्री मैच्योर रिटायरमैंट लेकर 2013 को मुझे बिना तलाक दिए दूसरी शादी कर ली। उसने अपने पति पर फिर दूसरा केस किया, उसका फैसला भी उसके हक में आया। उसने फिर आवा (आर्मी वाइवज वैलफेयर एसोसिएशन) की चेयरपर्सन जोकि सेना प्रमुख की पत्नी होती है, उसे पत्र लिख अपनी व्यथा सुनाई। जिसका संज्ञान लेते हुए आवा की चेयरपर्सन ने स्टेशन हेडक्वार्टर के वेटर्न सहायता केंद्र को उसकी मदद करने के लिए लिखा।

12वीं कक्षा में पढ़ता है बेटा, दोनों को मिलेगें पांच-पांच हजार

वंदना ने नम आंखों से बताया कि उसने अपना हक लेने के लिए आठ साल संघर्ष किया। उसका इकलौता बेटा देव राणा बारहवीं कक्षा में पढ़ रहा है। वह उसके साथ वह राजा के तलाब में ही किराये के मकान में रहता है। वह प्राइवेट स्कूल मे बतौर अध्यापक नौकरी कर रही है। वेटर्न सहायता केंद के कर्नल रैंक के अधिकारी ने भारतीय स्टेट बैंक नूरपुर, जहां से उसके पति पेंशन लेते थे, से संपर्क कर केस के सारे डाक्यूमेंट बैंक को मेल किए, उसके बाद बैंक ने पति की पेंशन से 10 हजार रुपये काटकर 5-5 हजार रुपये उसे व उसके बेटे को खर्चा लगा दिया, जो अक्तूबर 2020 में उन्हें मिलना शुरू हो गया है।


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