प्रॉपर्टी टैक्स पर देना पड़ेगा अलग से दो फीसद कैंसर सेस
कोरोना काल में मंदी की मार झेल रहे शहरवासियों पर एक और आर्थिक बोझ बढ़ गया। कैंसर सेस के रूप में जमा करवाई जाने वाली राशि को नगर निगम अब सीधे उपभोक्ताओं से वसूल करने लगा है।
विनोद कुमार, पठानकोट
कोरोना काल में मंदी की मार झेल रहे शहरवासियों पर एक और आर्थिक बोझ बढ़ गया। कैंसर सेस के रूप में जमा करवाई जाने वाली राशि को नगर निगम अब सीधे उपभोक्ताओं से वसूल करने लगा है। पंजाब सरकार के आदेश पर ही यह वसूली शुरू हुई जबकि इससे पहले निगम अपनी वार्षिक आय से सरकार को यह टैक्स देता था। लोगों से अलग से चार्ज नहीं किया जाता था लेकिन अब प्रॉपर्टी टैक्स के साथ अलग से दो फीसद कैंसर सेस के नाम पर लिए जा रहे हैं। ये सारे पैसे सीधे सरकारी खजाने में ट्रांसफर होंगे। प्रॉपर्टी टैक्स जमा करवाने वाले शहर के 35390 उपभोक्ताओं को हर साल टैक्स जमा करवाने पर दो फीसद अतिरिक्त शुल्क देना होगा। महज इसी सेस से निगम एक साल में करीब पांच करोड़ एकत्र करेगा।निगम की प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच के रिकॉर्ड में कुल 57933 उपभोक्ता हैं। उसमें 22543 उपभोक्ताओं की प्रॉपर्टी पांच मरला से कम हैं जिन्हें राज्य सरकार की तरफ से प्रापर्टी टैक्स, पानी व सीवरेज के बिलों में छूट है। 35390 उपभोक्ताओं से प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच टैक्स की वसूली करती है। 24228 रेजीडेंशियल धारक हैं। इसके इलावा 8860 कॉमर्शियल, 1680 मिक्स व 620 इंडस्ट्रीज है। कैंस सेस के दायरे में आते 35390 उपभोक्ताओं को अब वार्षिक टैक्स देने पर दो फीसद अतिरिक्त राशि देनी पड़ेगी पहले ऐसे जाते था सरकार के खजाने में पैसा
2015 से पहले नगर कौंसिल व नगर निगम शहरी उपभोक्ताओं से हाउस टैक्स के रूप में टैक्स वसूल करती थी। 2015 में तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार ने शहरी उपभोक्ताओं को हाउस टैक्स से छूट देकर सभी को प्रॉपर्टी टैक्स के दायरे में ला दिया। प्रापर्टी टैक्स में पांच मरला या इससे कम सहित स्वतंत्रता सैनानियों, विधवा व सैनिकों को छूट दी गई है। निगम व कौंसिलें हाउस टैक्स के बाद प्रापर्टी टैक्स से इक्टठा होने वाली वार्षिक आय से दो फीसद राशि कैंसर सैस के रूप में सरकार को जमा करवाती थी। उसके बाद सरकार ने नगर कौंसिलों व निगमों को एक सर्कुलर जारी कर अपना टैक्स पूरा वसूलने की बात कह कर कैंसर सेस का दो फीसद अलग से वसूलने को कहा है। अब ऐसे जाएगा कैंसर सैस का फंड
सेस के रूप में दो फीसद कुल राशि में दो फीसद जुड़ जाएगा। उपभोक्ता जब अपना प्रॉपर्टी टैक्स जमा करवाता है तो उसकी कुल राशि में दो फीसद राशि कैंसर सेस के रूप में जुड़ने के बाद ही उसे रसीद मिलती है।
इतना लगता है प्रॉपर्टी टैक्स
पांच मरला से ऊपर धारक ने बिल्डिग निर्माण में जितना एरिया कवर किया होगा, उस पर वार्षिक 50 रुपये प्रति मरला और बाउंड्री में खाली एरिया का 25 रुपये के हिसाब से प्रॉपर्टी टैक्स बनता है। ऊपरी बिल्डिग भले दो हो या तीन प्रति बिल्डिग 25 रुपये प्रति मरला के हिसाब से टैक्स देना होगा। कॉमर्शियल व होटल एक हजार स्केयर फीट तक 4 रुपए फीट और इससे उपर 5 रुपये फीट के हिसाब से ग्राउंड फ्लोर शुल्क चुकाना होता है। ऊपरी बिल्डिग 1 हजार गज तक 2.50 रुपये और इससे कम पर 2 रुपये फीट टैक्स लगता है। इंडस्ट्रीज 4 हजार गज के नीचे 4 रुपये फीट और इससे उपर 2 रुपये फीट के हिसाब से टैक्स बनता है। निगम का वार्षिक टारगेट 5 करोड़ रुपये है और वह 4 करोड़ के करीब पहुंचता है। कैंसर सेस लगने के बाद उपभोकताओं पर करीब 10 लाख का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। पहले वार्षिक फंड से दो फीसद राशि कैंसर सेस में जाती थी। अब इसमें बदलाव हुआ है। कैंसर सेस की राशि को दो फीसद उपभोक्ताओं को अलग से देने पड़ेंगे जो कैंसर पीड़ित लोगों के इलाज पर खर्च होंगे। सरकार के आदेशों पर ही निगम उपभोक्ताओं से कैंसर सेस ले रहा है।
अश्वनी शर्मा, कार्यकारी सुपरिटेंडेंट, नगर निगम।