कैंट स्टेशन को नेशनल हाईवे से जोड़ने वाली दूसरी एंट्री का काम ठंडे बस्ते में
हाईवे से कैंट स्टेशन को मिलाने वाले दूसरे एंट्री गेट की योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। इसके चलते हिमाचल प्रदेश व जेंएडके से आने वाले यात्रियों को स्टेशन तक पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं।
जागरण संवाददाता, पठानकोट : हाईवे से कैंट स्टेशन को मिलाने वाले दूसरे एंट्री गेट की योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। इसके चलते हिमाचल प्रदेश व जेंएडके से आने वाले यात्रियों को स्टेशन तक पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं। हालांकि, फाटक बंद होने के कारण पेश आने वाली परेशानियों को देखते हुए रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) का काम चल रहा है परंतु बावजूद इसके दूसरी एंट्री गेट होना जरूरी है। इससे यहां आउट गेट पर लोगों की भीड़ कम होगी, वहीं बाहरी राज्यों के यात्रियों को भी आसानी होगी।
उधर, इस संदर्भ में जब पठानकोट रेलवे अधिकारी से बात की तो उनका कहना था कि पिछले सप्ताह मंडल ने सैकेंड एंट्री को लेकर रिपोर्ट मंगवाई थी। संबंधित विभाग से चर्चा कर वह रिपोर्ट भेज दी गई है। हाईवे के साथ सैकेंड एंट्री बनेगी या नहीं इस पर हायर अथारिटी ही अपना फैसला देगी।
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दो वर्ष पहले सेकेंड एंट्री पर बनी थी सहमति
दो साल पहले तत्कालीन जनरल मैनेजर ने अपने दौरे के दौरान फाटक बंद होने के कारण पेश आ रही परेशानियों का संज्ञान लेते हुए बाहरी राज्यों से आने वाले यात्रियों की सुविधाओं के लिए दूसरे एंट्री गेट की भी बात कही थी। स्थानीय स्तर पर इसका नक्शा बनाकर मंडल को भेज दिया गया और वहां से आगे दिल्ली। बनाए गए प्रोजेक्ट अनुसार पठानकोट-जालंधर नेशनल एयर फोर्स गेट के पास स्टेशन को मिलाया जाना है। अगर दूसरा एंट्री गेट बनता है तो हिमाचल प्रदेश व जेएंडके से आने वाले यात्री उसी रास्ते से सीधे प्लेटफार्म पर पहुंच सकते हैं।
................... तीन राज्यों का संगम स्थल है कैंट स्टेशन
पठानकोट कैंट पंजाब-हिमाचल प्रदेश व जेएंडके के यात्रियों का संगम स्थल है। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न शहरों से देश के अलग-अलग राज्यों को जाने वाले यात्रियों को पठानकोट कैंट स्टेशन आना पड़ता है। जबकि, जेएंडके के कठुआ सहित बसोली व बिलावर के यात्रियों को कैंट स्टेशन नजदीक पड़ता है। दूसरा कई ट्रेनें ऐसी भी हैं जिनका कठुआ में स्टापेज नहीं है जिनके लिए उन्हें पठानकोट आना पड़ता है। पठानकोट से देश के विभिन्न राज्यों के लिए रोजाना 40 अप-डाउन ट्रेनों से 3 तीन हजार के करीब यात्री चढ़ते व उतरते हैं।
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आरओबी के साथ दूसरी एंट्री भी जरूरी
विभागीय अधिकारियों की माने तो बेशक शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को कंट्रोल करने के लिए कैंट स्टेशन पर आरओबी बनाया जा रहा है। लेकिन, हाईवे से दूसरी एंट्री भी जरूरी है। हिमाचल प्रदेश व जेएंडके सहित विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले आरओबी बनने के बाद सीधे प्लेटफार्म पर पहुंच जाएंगे लेकिन, इससे प्लेटफार्म नंबर-एक की साइड ज्यादा भीड़ हो जाएगी। ऐसे में यदि दूसरी एंट्री बनती है तो यात्रियों की संख्या दोनों और बंट जाएंगी।