सुजानपुर से नरेश पुरी को टिकट देने का नहीं थम रहा विरोध, मंटू की राह अपना सकते हैं कई नेता
बुधवार को भी कांग्रेस पार्टी के असंतुष्ट नेताओं की ओर से बैठक करके कांग्रेस हाईकमान से सुजानपुर की टिकट पर दोबारा से विचार करने की अपील की गई। इसके साथ ही नरेश पुरी के अलावा किसी भी अन्य पार्टी नेता को प्रत्याशी बनाने की मांग भी की गई है।
संवाद सहयोगी, सुजानपुर: कांग्रेस पार्टी की ओर से नरेश पुरी को सुजानपुर विधानसभा से टिकट देने पर हलके के कुछ पार्टी नेताओं में उठे विद्रोह के स्वर थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। सुजानपुर से पार्टी की टिकट के लिए कई नेताओं द्वारा दावेदारी जताई गई थी, लेकिन कांग्रेस की ओर से अन्य सभी की दावेदारी को दरकिनार करते हुए नरेश पुरी को टिकट दे दी गई। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कई नेता मंटू की राह अपनाते हुए पार्टी बदल भी सकते हैं।
बुधवार को भी कांग्रेस पार्टी के असंतुष्ट नेताओं की ओर से बैठक करके कांग्रेस हाईकमान से सुजानपुर की टिकट पर दोबारा से विचार करने की अपील की गई। इसके साथ ही नरेश पुरी के अलावा किसी भी अन्य पार्टी नेता को प्रत्याशी बनाने की मांग भी की गई है। पंजाब स्टेट इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के उप चेयरमैन विनय महाजन, साहिब सिंह साबा, खेती-बाड़ी बैंक के चेयरमैन अवतार कलेर, एडवोकेट हरीश पठानिया, जिला कांग्रेस यूथ प्रधान तोषित महाजन, राजपूत कल्याण बोर्ड के चेयरमैन दविदर सिंह दर्शी, बलकार पठानिया, सरपंच गीता ठाकुर, अल्पसंख्यक सेल के अलादीन ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान की ओर से इस बार नरेश पुरी को टिकट देकर कार्यकर्ताओं के साथ धोखा किया गया है।
उन्होंने नरेश पुरी ने वर्ष 2012, 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़कर पार्टी को हराने का काम किया है। वहीं, पंजाब के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ के लोकसभा चुनाव के समय भी नरेश पुरी पार्टी के खिलाफ काम करते रहे। उनका बूथ तक कांग्रेस पार्टी हार गई। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति ने तीन चुनावों में कांग्रेस पार्टी को हराया है उसे ही कांग्रेस पार्टी की ओर से वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी का उम्मीदवार बना दिया गया है। इसी रोष स्वरूप कांग्रेस के हलका इंचार्ज अमित सिंह मंटू ने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली है। पार्टी के असंतुष्ट नेताओं ने कहा कि अगर कांग्रेस हाईकमान की ओर से कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ध्यान नहीं रखा गया तो उन्हें मजबूरी में संघर्ष का बिगुल बजाना पड़ेगा।