तीसरी लहर से निपटने की तैयारी.. लेवल टू के संक्रमित बच्चों के लिए बनाया 25 बेड का आइसोलेशन वार्ड, आक्सजीजन जेनरेशन प्लांट भी तैयार
हालांकि सेहत विभाग अपनी तरफ से पूरा जोर लगा रहा है फिर भी अस्पताल कई ऐसी खामियां है जो तीसरी लहर के दौरान खतरनाक साबित हो सकती हैं जैसे कि जिले में सिर्फ चाल बाल रोग विशेषज्ञ हैं। एनेस्थीसियोलाजिस्ट सिर्फ एक है और वेंटिलेटर जैसे उपकरण चलाने के अस्पताल के पास कुशल स्टाफ भी नहीं है।
जागरण संवाददाता, पठानकोट : कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए सेहत विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए अस्पताल प्रबंधन की ओर से व्यापक स्तर पर काम किया जा रहा है। आक्सीजन प्लांट बनकर तैयार है। आक्सीजन की किल्लत न हो इसके लिए सभी वार्डो को पाइप लाइन से जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है। बिस्तरो की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। प्राइवेट अस्पतालों को भी आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अमनदीप अस्पताल में भी आक्सीजन प्लांट की क्षमता बढ़ाई जा रही है। हालांकि सेहत विभाग अपनी तरफ से पूरा जोर लगा रहा है फिर भी अस्पताल कई ऐसी खामियां है जो तीसरी लहर के दौरान खतरनाक साबित हो सकती हैं, जैसे कि जिले में सिर्फ चाल बाल रोग विशेषज्ञ हैं। एनेस्थीसियोलाजिस्ट सिर्फ एक है और वेंटिलेटर जैसे उपकरण चलाने के अस्पताल के पास कुशल स्टाफ भी नहीं है।
वहीं एसएमओ डा. राकेश सरपाल ने बताया कि कोरोना लहर को रोकने के लिए तैयारी पूरी है। बेड की संख्या बढाई गई है। एमसीएच बिल्डिग को आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। इसमें पहले से 65 बेड हैं। प्लस प्वाइंट्स
1.) बच्चों के लिए अलग आइसोलेशन वार्ड बनाया जा रहा
सिविल अस्पताल में चिल्ड्रन वार्ड को आइसोलेशन वार्ड में बदलने का काम तेजी से चल रहा है। यहां लेवल टू के संक्रमित बच्चों को इलाज किया जाएगा। 25 बेड वाले इस चिल्ड्रन वार्ड में मनमोहक आकृतियां और कार्टून बनाए जा रहे हैं। प्रत्येक बेड के साथ आक्सीजन कंसंट्रेटर और आक्सीजन सिलेंडर की भी सुविधा है, ताकि जरूरत पड़ने पर इसे भी यहां पर फिट किया जा सके। 2.) आक्सीजन प्लांट तैयार, हर मिनट 960 लीटर आक्सीजन पैदा करेगा
कोविड-19 की संभावित लहर को देखते हुए सिविल अस्पताल में आक्सीजन प्लांट लगाया गया है। यह प्लांट हर मिनट 960 लीटर आक्सीजन का उत्पादन करेगा। इस प्लांट से उत्पादन शुरू होने के बाद जिले में आक्सीजन सरप्लस हो जाएगी। इससे अन्य जरूरतों को भी पूरा किया जा सकेगा।
निगेटिव प्वाइंट्स
1.) वेंटिलेटर के लिए योग्य प्रशिक्षक की कमी
सरकार की ओर से सिविल अस्पताल को दो खेप में कुल 28 वेंटिलेटर उपलब्ध करवाए गए थे, मगर योग्य प्रशिक्षक न होने के कारण इसे प्राइवेट अस्पतालों को सौंपने पड़े। पहली खेप में आए कुल 10 वेंटिलेटर को चितपूर्णी मेडिकल कालेज को दे दिया गया। दूसरी खेप में सुखसदन अस्प्ताल, एसकेआर, राज अस्पताल, पीएमसी, व्हाइट कालेज को देना पड़ा। 2.) एनेस्थीसियोलाजिस्ट की जरूरत
एनेस्थीसियोलाजिस्ट सर्जरी से पहले मरीजों को बेहोश करने, बेहोश की अवस्था को नियंत्रित रूप से बनाए रखने, सर्जरी के दौरान हृदय गति, ब्लड प्रेशर व शरीर की सभी कोशिकाओं की मात्रा को नियत रखने का काम करते हैं। साथ ही आइसीयू के प्रमुख संचालक एनेस्थीसियोलाजिस्ट ही होते हैं। सिविल अस्पताल में इसकी कमी है। अस्प्ताल में केवल एक एनेस्थीसियोलाजिस्ट हैं, जबकि एक ही मांग की गई है। 3.) बच्चे चार लाख, बाल विशेषज्ञ सिर्फ चार
विभाग के अनुसार जिले में बच्चों की आबादी की करीब चार लाख 31 हजार है, जबकि सरकारी तौर पर बाल विशेषज्ञ सिर्फ चार है, जिनमें सिविल में तीन और एक घरोटा में तैनात है।