स्टेचर पर सामान, गोद में मरीज
सिविल अस्पताल में स्टेचर व व्हीलचेयर का इस्तेमाल मरीजों के लिए कम और सामान ढोने के लिए ज्यादा हो रहे हैं।
सूरज प्रकाश, पठानकोट :
सिविल अस्पताल में स्टेचर व व्हीलचेयर का इस्तेमाल मरीजों के लिए कम और सामान ढोने के लिए ज्यादा हो रहे हैं। तीमारदार मरीजों को कंधों या गोद में उठाकर चेकअप के लिए डाक्टर के पास पहुंचा रहे हैं। इससे मरीज और उनके स्वजनों को मुश्किलों के दौर से गुजरना पड़ रहा है। कोई भी इमरजेंसी में आता है तो उसे जरूरत पड़ने पर कोरोना टेस्ट के लिए बोला जाता है, लेकिन उनको स्टेचर और व्हीलचेयर नहीं मिल पाती। मजबूरी में मरीज को हाथ में उठाकर दूसरे वार्ड तक पहुंचाना पड़ता है।
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नहीं मिला स्टेचर व व्हीलचेयर
पवन कुमार ने कहा कि उसकी सास की तबीयत खराब हो जाने से वह सिविल अस्पताल में उपचार के लिए लेकर आए है। इमरजेंसी में पहुंचने पर डाक्टर ने कोरोना टेस्टिग के लिए कह दिया। इसके बाद इमरजेंसी से मरीज को लेकर जाने के लिए स्टेचर व व्हीलचेयर इधर-उधर ढूंढने लगे, परंतु नहीं मिली। इस कारण वह अपनी सास को अपने हाथों में उठाकर कोरोना टेस्टिग काऊंटर तक लेकर गए, जहां उनका कोरोना टेस्ट किया गया।
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रोज दो सौ बुजुर्ग व 50 विकलांग आते हैं
सिविल अस्पताल में रोजाना दो सौ के ऊपर बुजुर्ग व 50 के करीब विकलांग चेकअप के लिए आते हैं। इनमे तकरीबन सभी मरीज दूसरे के सहारे अपना चेकअप करवाने के लिए डाक्टर के कमरे तक पहुंचते हैं और डाक्टर द्वारा दवाई लिखकर देने पर फिर पैदल या दूसरों के सहारे लेने के लिए जाना पड़ता है।
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20 व्हीलचेयर भी पड़ रही कम
सिविल अस्पताल में 20 व्हीलचेयर है। प्रत्येक वार्ड में दो व्हीलचेयर पड़ी हुई है, परंतु यह व्हीलचेयर भी लोगों की सुविधाओं के लिए कम हो रही है। क्योंकि मरीजों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा और मरीजों परेशानी झेलते नजर आ रहे।
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एसएमओ डा. भूपेंद्र सिंह का कहना है कि प्रत्येक वार्ड में स्टेचर व व्हीलचेयर पड़े हैं। अस्पताल में स्टेचर और स्टेचर की किसी भी प्रकार की समस्या नहीं है।