नहीं होगी शिअद की रैली, मुक्तेश्वर धाम मेले पर संशय, व्यापार ठप्प
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वीरेन पराशर, पठानकोट : कोरोना वायरस के साइड इफेक्ट बढ़ते जा रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल की पठानकोट में 28 मार्च को प्रस्तावित रोष रैली स्थगित कर दी गई है। अनिश्चितकाल के लिए टाली गई इस रैली में अकाली दल के प्रदेश प्रधान सुखबीर बादल ने आना था। कांग्रेस सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन के बहाने अकाली दल के बड़ी तादाद में पदाधिकारी, नेता एवं वर्कर शरीक होने थे। अब अप्रैल माह में इसके आयोजन पर फैसला होगा। दूसरी तरफ जिले में अन्य आयोजनों पर भी बादल मंडरा रहे हैं।
बाबा मुक्तेश्वर धाम में 23 से 25 मार्च तक लगने वाले सालाना तीन दिवसीय मेले को लेकर भी संशय है। प्रबंधन कमेटी इस बाबत प्रशासन से एक दफा बातचीत करेगी, आगामी फरमान पर ही इसे करवाया जाएगा। फिलहाल सरकार एवं प्रशासन की सख्ती के चलते आयोजन को अनुमति मिलना संभव नहीं दिख रहा है। दूसरी तरफ आर्मी ने भी एहतियात के तौर पर कैंटीन में सामान बिक्री पर रोक लगा दी है। सैनिक एवं पूर्व सैनिक - आश्रितों को भी सामान लेने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। जबकि, पठानकोट में व्यापार को भी कोरोना वायरस ने झटका दिया है। दूसरी ओर एहतियात इतनी है कि डल्हौजी रोड स्थित एचडीएफसी बैंक शाखा में
ग्राहकों के हाथ पहले सैनिटाइजर से धुलाएं जा रहे हैं, इसके बाद ही उन्हें अंदर जाने दिया जा रहा है। ग्राहकों को कोरोना से बचाव को लेकर भी सतर्क किया जा रहा है। 13 अप्रैल के बाद लेंगे निर्णय
शिअद के शहरी जिलाप्रधान सुरिद्र कनवर मिटू का कहना है कि कोरोना से उपजे हालातों पर स्वास्थ्य ही प्राथमिकता है। अब रोष रैली को 13 अप्रैल के बाद स्थिति को देखते हुए ही फैसला लिया जाएगा। मेले पर निर्णय नहीं
बाबा मुक्तेश्वर धाम प्रबंधक कमेटी के चेयरमैन ठाकुर भीम सिंह, अध्यक्ष भाग सिंह का कहना है कि इस आयोजन को लेकर एकतरफा फैसला नहीं लेंगे। प्रशासन से विमर्श करने के बाद ही आयोजन करवाने का निर्णय होगा। व्यापार को बड़ा झटका
कोरोना वायरस का पठानकोट में फिलहाल कोई केस नहीं आया है पर इसका व्यापार असर व्यापार पर पड़ा है। पठानकोट में 30 फीसद तक व्यापार में गिरावट हो चुके है। बाजार में भीड़ कम दिख रही है और खरीदारों के न आने से व्यापारियों को अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है। अकेले मनी एक्सचेंज में 60 फीसद की कमी आई है। विदेश आने और जाने में पाबंदियों के बीच लोग मुद्रा बदलने में भी रूचि नहीं दिखा रहे हैं। यही हाल टिकटिग के काम का भी है जोकि 80 फीसद तक लुढ़क गया है।