जागरण विशेष: श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर शाहपुरकंडी बना आस्था का केंद्र
जो भी पर्यटक शाहपुरकंडी आता है वह इस देवधाम की मन में एक ऐसी छवि लेकर जाता है जिससे उनकी आस्था इस मंदिर से हमेशा के लिए जुड़ जाती है। यह मंदिर इस समय लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
संवाद सहयोगी, जुगियाल: शाहपुरकंडी का श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर क्षेत्र में अपना एक विशेष महत्व रखता है। जो भी पर्यटक शाहपुरकंडी आता है वह इस देवधाम की मन में एक ऐसी छवि लेकर जाता है, जिससे उनकी आस्था इस मंदिर से हमेशा के लिए जुड़ जाती है। यह मंदिर इस समय लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
इस देवालय मंदिर का निर्माण एवं कला में 12वीं और 20वीं शताब्दी का मिश्रण है। आकार में हर एक मंदिर आठ भुजाओं वाला है। इसमें मुख्य मंदिर श्री लक्ष्मी नारायण भगवान जी का है जिसके आगे महावीर जी बाएं तरफ और मां दुर्गा भवानी दाएं और विराजमान है। मंदिर के परिसर में पांच मंदिर हैं। इनमें माता सरस्वती, श्री राधा कृष्ण, श्री राम दरबार, माता संतोषी एवं शिव परिवार की प्रतिमाएं स्थापित है। सभी मंदिरों पर 40 बाय 40 के पांच गुंबद हैं। श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर का गुंबद 65 फीट ऊंचा है।
श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के आगे 40 बाय 40 फीट का 8 भुजाओं वाला एक कलात्मक हाल है। लंगर बनाने का हाल 40 बाय 20 फीट का है। यात्रियों के रहने के लिए 30 कमरे, सराय सहित सुंदर चार दिवारी एवं जोड़ा घर के अलावा मंदिर के प्रांगण में 50 फीट ऊंची भगवान महावीर हनुमान जी की मूर्ति लगवाई गई है जो कि आकर्षण का है। इसके अलावा मंदिर में 75 बाय 40 फीट का केशव सत्संग हॉल क्षेत्र वासियों के लिए शादी विवाह, धार्मिक कार्यक्रम के अलावा अन्य कार्यक्रम करवाने के लिए उपलब्ध कराया जाता है। मंदिर की देखरेख श्री सनातन धर्म सभा शाहपुरकंडी टाउनशिप के महासचिव और केयरटेकर करते हैं। 26 अप्रैल 1985 में हुआ था शिलान्यास
इसका शिलान्यास परम पूज्य जगतगुरु शंकराचार्य श्री श्री दिव्यानंद जी महाराज भानु पूरा ने 26 अप्रैल 1985 को किया था जो 5 दिसंबर 1996 में जन्माष्टमी वाले दिन सामाजिक एवं धार्मिक आयोजन के लिए खोल दिया गया इस क्षेत्र में केशव सत्संग हॉल अपनी एक विशेष महत्व रखता है। श्री सनातन धर्म सभा का कार्य बट वृक्ष की भांति क्षेत्र में अपने धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में एक विशेष महत्त्व रखता है। श्री सनातन धर्म सभा शाहपुरकंडी टाउनशिप का निर्माण वर्ष 1979 में हुआ तथा उस समय सरश्री आरडी शर्मा श्री सनातन धर्म सभा के अध्यक्ष बने तथा उनके साथ आरती अरोड़ा महासचिव के पद पर नियुक्त किए गए। इसी दौरान 2 वर्ष के लिए रणजीत सागर बांध परियोजना के सेवा मुक्त सुपरिटेंडेंट इंजीनियर रोशन लाल मित्तल ने सेवा निभाई तथा दो वर्ष तक सेवा मुक्त चीफ इंजीनियर सुधीर गुप्ता ने श्री सनातन धर्म सभा की अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाई। श्री सनातन धर्म सभा के सदस्य
इस समय श्री सनातन धर्म सभा में चेयरमैन की भूमिका राजेंद्र शर्मा, वाइस चेयरमैन की भूमिका जितेंद्र अरोड़ा, सरपरस्त रोशन लाल मित्तल, सरपरस्त सुधीर गुप्ता, अध्यक्ष शिव प्रकाश, महासचिव कमल हैप्पी, महासचिव सुरजीत सिंह मक्खन, कोषाध्यक्ष महावीर शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोज शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक शर्मा, सोहन सिंह, पवन बाबा, ओम प्रकाश, सोमराज, सुरेंद्र कोहली के अलावा अन्य सदस्यों के पूर्ण रूप से विशेष सहयोग से चल रही है।