मुक्तेश्वर धाम बचाने के लिए फाइनल प्रपोजल नहीं, समिति सदस्यों ने जताया रोष
शाहपुरकंडी बांध के निर्माण से ऐतिहासिक धरोहर मुक्तेश्वर धाम पर मंडरा रहे खतरे को लेकर विभिन्न धार्मिक, समाजिक एंव राजनीतिक मंचों से आवाज बुलंद की जा रही है।
संस, जुगियाल : शाहपुरकंडी बांध के निर्माण से ऐतिहासिक धरोहर मुक्तेश्वर धाम पर मंडरा रहे खतरे को लेकर विभिन्न धार्मिक, समाजिक एंव राजनीतिक मंचों से आवाज बुलंद की जा रही है। लेकिन मंदिर को बचाने के लिए प्रयास कर रहे वर्गों में रोष भी पाया जा रहा है। यह रोष मंदर बचाने के लिए फाइनल प्रपोजल के तैयार न होने के कारण जताया जा रहा है। पवित्र मुक्तेश्वर धाम को बचाने के लिए तीन सालो से संघर्ष कर रही मुक्तेश्वर धाम बचाओ समिति का कहना है कि इस स्थान को बचाने के लिए कई सर्वे, बैठकें, आश्वासन तथा शाहपुरकंडी बांध के अधिकारियों से बार-बार मुलाकात करने के बाद भी इसके लिए फाइनल प्रपोजल तैयार नहीं हो सका है। चुनावों के समय पर सभी राजनीतिक पार्टियों के आश्वासन के बाद भी इस का कोई ठोस हल नहीं निकल पाया। पिछले दिनों शाहपुरकंडी दौरे पर आए पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं सांसद सुनील जाखड़, पंजाब कैबिनेट एवं पंजाब ¨सचाई विभाग के मंत्री सुख सरकारिया के ऐलान के बाद भी अभी तक कोई ठोस नीति तैयार नहीं हो पाई। इस कारण ¨हदू धर्म एंव स्थानीय क्षेत्र के लोगों मे रोष पाया जा रहा है। इस संबंध में हाल ही में मुक्तेश्वर धाम बचाओ समिति ने जिलाधीश रामवीर को मांग पत्र देकर मांग की है कि इस का जल्द हल निकाला जाए। इस मौके पर कमेटी और संघर्ष समिति ने कहा कि अगर एक माह के भीतर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह जन आंदोलन शुरू करेंगे जिसकी जिम्मेदारी बांध प्रशासन और पंजाब सरकार की होगी।
गौरतलब है कि जिला पठानकोट की धार तहसील का गांव डूंग 5500 वर्ष पुराने महाभारत काल का इतिहास अपने आप में समेटे हुआ है। यहां पाडवों ने महाभारत के युद्ध में घोर साधना कर भगवान शिव शंकर से विजयश्री का आशीर्वाद ग्रहण किया था। उसी स्थान पर आज भगवान शिव का पवित्र मंदिर बाबा मुक्तेश्वर धाम के नाम से मशहूर है। इसी स्थान पर द्रोपदी रसोई, धर्मराज का थड़ा और पांडवों की गुफाए प्राचीन काल की गवाही दे रही है। यह स्थान छोटे हरिद्वार के नाम से भी जाना जाता है और इस स्थान पर सोमवती, अमावस, शिवरात्री, बैसाखी के अलावा अन्य कई पवित्र दिनों में भारी मेला लगता है और श्रद्धालु रावी नदी में स्नान कर बाबा मुक्तेश्वर के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। लेकिन अब इस धाम पर खतरा मंडरा रहा है। यह खतरा शाहपुरकंडी डैम के निर्माण के कारण बन रहा है। शाहपुरकंडी डैम के निर्माण होने से डैम की झील में धाम के डूबने का डर है। धाम को बचाने के लिए संघर्ष समिति द्वारा रिटे¨नग वॉल बनाने की मांग की जा रही है। समिति के अनुसार लगभग 100 मीटर लंबी और 65 फीट ऊंची दीवार का निर्माण कर इस स्थान को बचाया जा सकता है। इसके इलावा उस स्थान पर 32 फीट चौड़ी सड़क, पार्किंग, रसोई, स्नान घाट, लंगर हाल, जोड़ा घर आदि बनाने के लिए 4 कनाल भूमि अलॉट किए जाए।
प्रपोजल न बनना ¨चता का विषय : कमेटी
इस संबंध में बाबा मुक्तेश्वर धाम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष भीम ¨सह ने कहा कि बांध प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि शाहपुरकंडी बांध के निर्माण कार्य शुरू होने से पहले मुक्तेश्वर धाम को बचाने की प्रपोजल बना कर कमेटी को सौंप दी जाएगी पर शाहपुरकंडी बांध का निर्माण कार्य शुरू हुए एक माह बीत चुका है लेकिन न ही कोई प्रपोजल फाईनल हो सकी है और न ही कमेटी को कोई प्रपोजल सौंपी गई है। ऐसी स्थिती में कब और कैसे मुक्तेश्वर धाम को बचाया जाएगा यह एक ¨चता का विषय है।
विभाग नहीं दिख रहा है गंभीर : समिति
मुक्तेश्वर धाम बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष गुलजार ¨सह ने कहा कि समिति द्वारा जब रणजीत सागर बांध परियोजना के चीफ इंजीनियर को प्रपोजल बारे पूछा जाता है तो वह कहते हैं कि इस के लिए प्रपोजल तैयार हो चुकी है पर इसके लिए कोई पत्र उच्चाधिकारियों से नहीं आया है। वहीं पंजाब ड्राईंग विभाग के डायरेक्टर का कहना है कि उनके पास रणजीत सागर बांध परियोजना से कोई प्रपोजल नहीं आई है। गुलजार ¨सह ने कहा कि ऐसा लगता है कि दोनों विभागों में तालमेल की कमी है। विभाग इसके लिए गंभीर नहीं है जिस कारण काम लटक रहा है।
प्रपोजल में हैं खामियां : चीफ इंजीनियर
रणजीत सागर बांध परियोजना के चीफ इंजीनियर जेएस नागी ने कहा कि मुक्तेश्वर धाम को बचाने के लिए विभाग की ओर से प्रपोजल नंबर 1 और प्रपोजल नंबर 2 बनाई थी, जिसमें काफी कमियां पाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर कमेटी और समिति के सदस्य उनके साथ बैठक कर इसमे कमियों को पूरा करने का सहयोग करें ताकि फाइनल प्रपोजल बना कर उसे मंजूर करवाया जा सके।