असुरक्षित सफर करने को मजबूर निजी स्कूलों के बच्चे
इंटरनेशनल इंडो-पाक बॉर्डर एवं इंटरस्टेट जेएंडके-पंजाब बॉर्डर से सटे जिले के अति संवेदनशील एरिया नरोट जैमल ¨सह-बमियाल में कुछ निजी स्कूल संचालकों की ओर से सुरक्षा को ताक पर रखा जा रहा है।
संस, बमियाल : इंटरनेशनल इंडो-पाक बॉर्डर एवं इंटरस्टेट जेएंडके-पंजाब बॉर्डर से सटे जिले के अति संवेदनशील एरिया नरोट जैमल ¨सह-बमियाल में कुछ निजी स्कूल संचालकों की ओर से सुरक्षा को ताक पर रखा जा रहा है। अधिकतर स्कूलों के वाहन रात के समय सुनसान असुरक्षित जगहों पर खड़े कर दिए जाते हैं और सुबह बिना जांच ही यह वाहन बच्चों को बिठाकर स्कूल की ओर निकल पड़ते हैं। ¨चता की बात यह है कि रात भर असुरक्षित जगहों पर खड़े इन स्कूली वाहनों पर कोई नजर नहीं रखता है। रात भर वाहन के साथ क्या छेड़छाड़ हुई इसका भी शायद ही किसी को अंदाजा हो। लेकिन सुबह होते ही बिना किसी की परवाह के इन वाहनों में भारी संख्या में मासूम बच्चों को बिठा लिया जाता है। ऐसा करके इन स्कूलों द्वारा बच्चों की ¨जदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह खिलवाड़ इन मासूम बच्चों पर कभी भी भारी पड़ सकता है।
नहीं होती बच्चों को ले जाने से पहले वाहनों की चेकिंग
जानकारी के मुताबिक इस एरिया के कुछ निजी स्कूल प्रबंधकों की ओर से स्कूल में बच्चों को लाने और ले जाने के लिए जो वाहन इस्तेमाल किए जाते हैं। उन वाहनों को स्कूल में छुट्टी के बाद स्कूल परिसर अथवा अन्य किसी उचित स्थान पर खड़ा करने के बजाय सीमावर्ती एरिया के सुनसान जगहों पर रात के समय लावारिस वाहन की तरह खड़ा किया जाता है यहां इन वाहनों में किसी प्रकार का सिक्योरिटी का इंतजाम नहीं होता। सुबह यहीं से वाहन चालक बच्चों को स्कूल पहुंचाते हैं। बच्चों को स्कूल ले जाने से पहले वाहनों की चेकिंग नहीं की जाती है। स्कूल प्रबंधकों की ओर से बरती जा रही यह प्रक्रिया घातक साबित हो सकती है क्योंकि असामाजिक तत्व हमेशा अपनी असामाजिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सुरक्षा में सेंध ढूंढने का प्रयास करते हैं। सूत्रों की मानें तो ईंधन बचाने के चक्कर में यह लापरवाही बरती जा रही है।
स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी, वाहनों को सुरक्षित स्थान पर करवाएं पार्क
जानकारी के मुताबिक निजी स्कूल वाहनों के लिए नियम है कि यदि वाहन किसी प्राइवेट ट्रांसपोर्टर का है तो छुट्टी के बाद वाहनों का जिम्मा ट्रांसपोर्ट ठेकेदार का बनता है कि वह वाहन को किसी सुरक्षित जगह पर पार्क करे। वहीं यदि यह वाहन स्कूल मैनेजमेंट का है तो स्कूल प्रबंधन का जिम्मा बनता है कि वाहन को स्कूल अथवा किसी अन्य सुरक्षित जगह पर पार्क करे। लेकिन स्कूल प्रबंधकों एवं ट्रांसपोर्टरों की ओर से वाहन का रूट जहां खत्म होता है उसी के आसपास कहीं असुरक्षित जगह पर इसे खड़ा कर दिया जाता है। यहां पर यह बताना अति जरूरी होगा कि यह एरिया भारत-पाकिस्तान जीरो लाइन और जम्मू कश्मीर की सीमा से भी सटा हुआ है। ऐसे में इस अति संवेदनशील एरिया में स्कूल प्रबंधकों की ओर से स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती जा रही लापरवाही के कारण अगर कोई अप्रिय घटना घटित होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा यह एक बड़ा सवाल है।
संवेदनशील माना जाता है नरोट जैमल ¨सह
काबिलेगौर हो कि नरोट जैमल ¨सह-के आसपास कई घटनाएं हो चुकीं हैं। इस क्षेत्र में वाहनों के हाइजैक होने या संदिग्ध वाहन मिलने जैसीं कई घटनाएं हो चुकीं हैं। वहीं चार साल पहले इस क्षेत्र से करीब 40 किमी दूर जेएंडके सांबा में सेना ने कुछ आतंकियों से छोटे बच्चों को बंधक बनाने वाली हथकड़ियां बरामद हुई थीं। वहीं दीनानगर आतंकी हमला करने वाले आतंकी और एयरफोर्स स्टेशन पर हमला करने वाले आतंकी इसी एरिया से होकर गुजरे थे। ऐसे में यह क्षेत्र शुरू से ही संदिग्ध रहा है।
सख्त कार्रवाई की जाएगी : डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी सेकेंडरी र¨वद्र शर्मा का कहना है कि स्कूली वाहन स्कूल परिसर के अंदर खड़े करने का प्रावधान है। यदि स्कूल मैनेजमेंट की ओर से प्राइवेट वाहन हायर किए गए हैं तो इन वाहनों को रात के समय सुरक्षित स्थान पर लगवाना ट्रांसपोर्टर की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यदि इन नियमों का किसी स्कूल की ओर से पालन नहीं किया जा रहा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।