सिर्फ पौधारोपण से ही जिम्मेदारी खत्म नहीं होगी, उनका ध्यान रखना भी जरूरी
सिर्फ पौधों को रोपित करने के बाद ही हमारी जिम्मेवारी खत्म नहीं हो जाती।
राज चौधरी, पठानकोट : सिर्फ पौधों को रोपित करने के बाद ही हमारी जिम्मेवारी खत्म नहीं हो जाती। पौधारोपण के तीन महीने तक इनकी देखभाल करना भी प्राथमिकता होनी चाहिए। जिले में वानिकी को बढ़ाने के लिए मौजूदा नीति में सबसे बड़ी विसंगति यही है कि पौधों को लगाने के बाद न तो विभागीय स्तर पर इसकी देखभाल होती है और न ही लगाने वाला व्यक्ति अपनी आगामी जिम्मेवारी समझता है। ऐसे में यदि पौधा लगाकर उसका रखरखाव नहीं किया जाता तो इस मुहिम का कोई औचित्य नहीं है। यह बात हर साल काफी संख्या में पौधारोपण करने वाले हिम शिखा मामून के प्रिसिपल और भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री सुशील शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि जब तक पौधारोपण किये जाने के बाद इन पौधों की देखरेख हम खुद नहीं करेंगे तब तक वानिकी को बढ़ावा नहीं मिल सकता। सुशील शर्मा न केवल हर साल भाविप के साथ मिल कर काफी संख्या में पौधे लगा रहे हैं बल्कि उनका पालन-पोषण भी कर रहे हैं। इन पौधों की देखरेख के लिए केयर टेकर रखे जाते हैं और खुद भी संस्था के लोग लगातार इन पौधों का तीन साल तक ध्यान रखते हैं।
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जुलाई माह में पांच हजार औषधीय पौधे लगाने का लक्ष्य
पर्यावरणविद् सुशील शर्मा और उनकी टीम ने इस साल पांच हजार पौधे रोपित किये जाने का लक्ष्य रखा है। इन पौधों में औषधीय पौधों को तवज्जो दी जाएगी। इसमें हरड़, बेहड़ा, आंवला, जामुन और नीम की प्रजातियां रहेंगी। सुशील शर्मा ने बताया कि इसके अतिरिक्त कोरोना महामारी में शारीरिक दूरी का खास तौर पर ध्यान रखते हुए जहां ये प्रोजेक्ट किए जाएंगे, वहीं दूसरी ओर समस्त संस्था के पदाधिकारियों को कहा गया है कि वह किसी एक जगह पर एकत्र होने की बजाए, अपने घरों और आसपास के स्थलों का चयन करें और वहां पौधे लगाएं। इसके साथ ही डिफेंस रोड, विकास भवन और तालाबों का भी पहले से ही चयन किया गया है, जहां इन पौधों को लगाया जाएगा।
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विकास परिषद ने लिया संकल्प
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भारत विकास परिषद ने लिया संकल्प
भारत विकास परिषद ने कई संकल्प लिए हैं। इसमें गांव से बाहर दूर शहरों में रहने वाले व्यक्तियों से संपर्क करना और उन्हें इस वर्ष किसी दूसरे स्थान की यात्रा (भ्रमण ) करने के स्थान पर जो पैसा खर्च होता है, उसे अपने गांव में खर्च करना । जिससे गांव को, गांव के वातावरण को शुद्ध व खूबसूरत बनाया जा सके । भारत विकास परिषद के कार्यकर्ता ऐसे लोगों से संपर्क करके निवेदन करेंगे कि अपने गांव को तीर्थ स्थल बनाएं। गांव में औषधीय व फलदार पौधे लगाने, पीने के जल की ब्यवस्था करना, तालाबों की साफ सफाई करना, शौचालयों की व्यवस्था करना, गांव की विलुप्त हो रही जीवन शैली को बचाने के लिए कार्य करना ।