बायो मेडिकल वेस्ट को अलग थैले में रखकर सफाई कर्मी को दें
जिला में कोरोनावायरस के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होने के साथ होम आइसोलेट मरीजों के बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण चुनौती साबित हो रहा है।
जागरण संवाददाता, पठानकोट : जिला में कोरोनावायरस के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होने के साथ होम आइसोलेट मरीजों के बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण चुनौती साबित हो रहा है। होम आइसोलेट लोगों का बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण करने की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की है, लेकिन इसमें थोड़ी सी भी चूक संक्रमित मरीज का बायो मेडिकल वेस्ट ले जा रहे कर्मचारी को प्रभावित कर सकती है। क्योंकि अगर कोई भी मुलाजिम कोरोनावायरस संक्रमित मरीज का बायो मेडिकल वेस्ट साधारण कूड़े के साथ लेकर जाता है तो संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा निर्देश अनुसार होम आइसोलेशन में रह रहे मरीज के बायो मेडिकल वेस्ट को थ्री लेयर बैग में रख कर तत्काल बैग को बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट में निस्तारण के लिए ले जाया जाए।
निगम की हेल्थ ब्रांच के इंचार्ज डा. एनके सिंह का कहना है कि कोरोना से पहले बायोवेस्ट की समस्या इतनी ज्यादा नहीं थी, लेकिन लगातार बढ़ते मामलों के बाद अब शहरी एरिया में यह समस्या उभर कर आई है। ऐसे में होमआइसोलेट हुए मरीजों व उनके परिजनों का फर्ज बनता है कि वह अपना समान सफाई सेवकों को अलग से दे ताकि उसे अलग ही रखा जा सके। बायोवेस्ट समान को कर्मचारी ले तो जाते हैं परंतु उससे संक्रमण और बढ़ने का खतरा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए निगम ने आठ कर्मचारियों की डयूटी लगाई है। उक्त कर्मचारियों को चार जोन में बांट दिया गया है जो लोगों के घर-घर जाकर उन्हें बायोवेस्ट को अलग थैले में देने के लिए प्रेरित कर रही हैं। संक्रमित लोगों की रिपोर्ट व पता देने के बाद वह उक्त परिवारों को जागरुक कर रही है ताकि आने वाले समय में उन्हें व परिजनों के अलावा आस-पड़ोस के लोगों को परेशानियों का सामना न करना पड़े। डा. एनके सिंह ने बताया कि सफाई कर्मी जो कूड़ा उठाते हैं उसमें से बायोवेस्ट को अलग करने के बाद डिस्पोज आफ के लिए सेहत विभाग को देने का काम कर रहे हैं, लेकिन इसमें बढ़ोतरी न हो इसके लिए जहां निगम अपना फर्ज निभा रहा है वहीं लोग भी उसमें निगम का सहयोग करें। मास्क-गल्बज को यूज एंड थ्रो न करें : डीपी भगत
एमईएस (मिलिट्री इंजीनियरिग सर्विस) से सेवानिवतृत हुए टेक्निकल आफिसर धर्म पाल भगत का कहना है कि कई लोग ग्लव्स व मास्क को यूज करके कहीं भी फेंक देते हैं। ऐसा करके हम अपनी सुरक्षा तो कर रहे हैं, पंरतु पर्यावरण में भी जहर घोल रहे हैं। कोरोना के चलते अब मास्क और ग्लव्स हमारी जरूरत बन चुके हैं, परंतु इसका इस्तेमाल करने के बाद इसका सही प्रकार से निस्तारण भी करें। मास्क व ग्लव्स को खुले में तो बिलकुल भी नहीं फेंकना चाहिए। इनके एक अलग डस्टबिन में डंप करें। खुल में फेंके गए बायो मेडिकल वेस्ट से इंसान के साथ पशु तक भी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। इस पर ध्यान न दिया तो आने वाले समय में हम कोरोना के साथ-साथ कई और बीमारियों का शिकार होंगे इसलिए।