बारिश बन रही पठानकोट-जोगिद्रनगर रेल सेक्शन में बाधा
हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही बारिश के कारण हो रहे भूस्खलन के चलते जहां सड़क मार्ग प्रभावित हो रहा है वहीं रेल सेक्शन पर भी इसका असर पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, पठानकोट : हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही बारिश के कारण हो रहे भूस्खलन के चलते जहां सड़क मार्ग प्रभावित हो रहा है, वहीं रेल सेक्शन पर भी इसका असर पड़ रहा है। शनिवार को हुए बारिश ने पिछले 26 दिन से बाधित चल रहे पठानकोट-जोगिद्रनगर नैरोगेज रेल सेक्शन के दोबारा शुरूहोने में बाधा उत्पन्न कर दी है। कोपरलाहड़ के पास पहाड़ियों से मिट्टी व पत्थर दोबारा ट्रैक पर आना शुरू हो गए हैं। इसे उठाने के लिए रेलवे कर्मचारियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। विभागीय कर्मचारियों की मानें तो यदि एक-दो दिन और बारिश हुई तो ट्रैक को दोबारा शुरू करने में कम से कम दस दिन का और समय लगेगा। रेल सेक्शन बाधित होने के कारण रोजाना सफर करने वाले यात्रियों को बसों में कई गुणा अधिक किराया खर्च करना पड़ रहा है। अभी चल रही हैं यह ट्रेनें
पठानकोट-जोगिदरनगर नैरोगेज रेल सेक्शन पर रोजाना सात ट्रेनें जाती है और इतनी ही ट्रेनें वहां से आती है। लेकिन, विगत माह भूस्खलन के कारण ट्रेनों को जोगिद्रनगर की बजाय केवल ज्वालामुखी रोड तक ही चलाया जा रहा है। उसमें से भी केवल दो ट्रेनें ही चलाई जा रही है। पठानकोट से (04699) सुबह 6:15 बजे तथा इसके बाद सुबह 11:05 बजे (04608) जाती है। जबकि, ज्वालामुखी रोड से (04700) दोपहर 1:30 बजे और (04609) रात 7:30 बजे पठानकोट आती है। किराए में सात गुणा का फर्क, सफर करना मजबूरी
पठानकोट से पालमपुर जाने वाली सुमन बाला, आशा रानी, कमलेश कुमारी, प्रबोध चंद्र, संदीप प्रकाश ने कहा कि हिमाचल के लिए बस और रेल किराए में सात गुणा से भी अधिक का अंतर है। इसकारण ज्यादातर लोग ट्रेन में ही सफर करना पसंद करते हैं। अब बस में सफर करने पर उन्हें सात गुणा ज्यादा किराया खर्च करना पड़ रहा है। वहीं बसें अपने मेन-मेन स्टापेज पर ही रुकती हैं। ट्रेन में किराया कम होने के साथ-साथ यात्रियों को टायलेट वगैरह की सुविधा भी मिलती है। हर बार बरसात में ऐसी स्थिति हो जाती है, जिस कारण कई-कई महीने नैरोगेज की ट्रेनें बाधित होती हैं। क्या कहते हैं अधिकारी
रेलवे की इंजीनियरिग ब्रांच के अधिकारी ने बताया कि पठानकोट से लेकर ज्वालामुखी तक ट्रैक पूरी तरह से क्लीयर है। लेकिन, ज्वालामुखी और कोपरलाहड़ के बीच बारिश के चलते बार-बार मलबा ट्रैक पर आ रहा है। ऐसे में रेलगाड़ियों का जोगिद्रनगर तक संचालन करवा पाना मुश्किल है।