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तंत्र के गण: आजादी के पहले से ही व्यापारिक दृष्टि से संपन्न रहा है पंजाब, जेएंडके और हिमाचल प्रदेश का संगम स्थल 'पठानकोट'

हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर दोनों ही पर्यटन के बड़े केंद्र माने जाते हैं। देश के विभिन्न राज्यों से हिमाचल प्रदेश और जेएंडके में भ्रमण करने आए पर्यटकों को पठानकोट में रुकना पड़ता है। खास तौर पर हिमाचल जाने वालों को पठानकोट आना ही पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 05:24 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 05:24 AM (IST)
तंत्र के गण: आजादी के पहले से ही व्यापारिक दृष्टि से संपन्न रहा है पंजाब, जेएंडके और हिमाचल प्रदेश का संगम स्थल 'पठानकोट'
तंत्र के गण: आजादी के पहले से ही व्यापारिक दृष्टि से संपन्न रहा है पंजाब, जेएंडके और हिमाचल प्रदेश का संगम स्थल 'पठानकोट'

विनोद कुमार, पठानकोट: आजादी से पहले भी पठानकोट व्यापारिक दृष्टि से अच्छा कस्बा माना जाता था। पठानकोट का नाम आज भी व्यापारिक दृष्टि से संपन्न शहरों की सूची में लिया जाता है। पठानकोट से ही हिमाचल प्रदेश के लिए नैरोगेज ट्रेन चलती है। दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों से आने वाली ट्रेनें पठानकोट तक ही आती थी। करीब तीन दशक पहले तक पठानकोट शहर आर्थिक दृष्टि से अन्य शहरों की तुलना बहुत मजबूत था। धीरे-धीरे ट्रेनें पहले जम्मूतवी और अब कटरा तक जाने से कारोबार में थोड़ी कमी जरूर आई है। जम्मू-कश्मीर के सांबा जिला तक के लोग और हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा व चंबा जिला के लोग रोजमर्रा की शापिग के लिए भी पठानकोट आना ही पसंद करते हैं। हिमाचल प्रदेश में दो बड़े जिलों के व्यापारी के पठानकोट से ही होलसेलरों से समान खरीदने को आते हैं। पठानकोट का ज्यादातार कारोबार हिमाचल प्रदेश और जेएंडके पर ही निर्भर है, लेकिन सैनिक छावनी होने के कारण भी शहर के कारोबारियों को इसका आर्थिक तौर पर लाभ मिलता है।

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हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर दोनों ही पर्यटन के बड़े केंद्र माने जाते हैं। देश के विभिन्न राज्यों से हिमाचल प्रदेश और जेएंडके में भ्रमण करने आए पर्यटकों को पठानकोट में रुकना पड़ता है। खास तौर पर हिमाचल जाने वालों को पठानकोट आना ही पड़ता है। इससे शहर में होटल का कारोबार भी बाकी शहरों की तुलना बेहतर हैं। इससे यहां कारोबारी आर्थिक तौर पर मजबूत होते हैं, वहीं कई लोगों को इससे रोजगार भी मिलता है। दोनों राज्यों को जाने वाला मार्ग भी पठानकोट से जुड़ा हुआ है। दोनों प्रदेशों को जाने वाले पर्यटकों को पठानकोट टच करना ही पड़ता है। देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले पर्यटक पठानकोट से ही टैक्सी वगैरह बुक करते हैं। इस कारण शहर में ट्रांसपोर्ट का कारोबार भी काफी अच्छा है। सिटी स्टेशन, कैंट, बस स्टैंड सहित शहर में दो दर्जन के करीब टूर एंड ट्रेवल वालों का काम भी अच्छा है। सैकड़ों लोगों का कारोबार इसी धंधे से चल रहा है। इसके अलावा पठानकोट में एयरफोर्स स्टेशन व सैनिक छावनी होने के कारण भी कारोबारियों को इसका आर्थिक तौर पर लाभ मिलता है। शहर के कुल रक्बे में आधे से ज्यादा एरिया तो सेना व एयरफोर्स के अधीन आता है। हजारों की तादाद में जवान व अधिकारी पठानकोट में ही आकर खरीदारी करते हैं। हालांकि, पिछले दो वर्षो में कोविड के चलते बेशक सेना और एयरफोर्स के जवानों व अधिकारियों की सिटी में आमद कम हो गई है, लेकिन आने वाले दिनों में बिजनेस में और बढ़ोतरी होने की संभावना है। ट्रेनें जम्मू शिफ्ट होने से कारोबार पर पड़ा है असर: व्यापारी

व्यापार मंडल पठानकोट के प्रधान अमित नैय्यर, जिला व्यापार मंडल के प्रधान इंद्रजीत गुप्ता व पठानकोट व्यापार मंडल के चेयरमैन अनिल महाजन का कहना है कि तीन दशक पहले पठानकोट का व्यापार साथ लगते पड़ोसी राज्यों से बेहतर था, लेकिन धीरे-धीरे ट्रेनें जम्मू शिफ्ट होती चली गई। टिबर का कारोबार हिमाचल प्रदेश में शिफ्ट होने से काम में थोड़ा फर्क पड़ा है। इसी कारण व्यपारिक संगठन पंजाब सरकार से पठानकोट के लिए विशेष पैकेज की मांग कर रहे हैं ताकि शहर के कारोबार पहले की भांति प्रफुल्लित हो सके।


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