महिलाओं को फ्री बस सुविधा व पचास फीसद सवारियों ने बिगाड़ा रोडवेज का गणित : शार्ट सíवस पर बसें चला रहा डिपो, आधे से ज्यादा रूट किए जा रहे मिस
सरकारी बसों में महिलाओं को फ्री बस सुविधा और 50 फीसद सवारियों की शर्त ने रोडवेज का गणित बिगाड़ दिया है।
जागरण संवाददाता, पठानकोट : सरकारी बसों में महिलाओं को फ्री बस सुविधा और 50 फीसद सवारियों की शर्त ने रोडवेज का गणित बिगाड़ दिया है। ऐसे में रोडवेज के लिए भविष्य में अपनी पूरी बस सर्विस को एक साथ चला पाना मुश्किल होता जा रहा है। कारण, डिपो को पर्याप्त मात्रा में इंकम नहीं हो पा रही है, जिसे देखते हुए डिपो को अब अपनी सर्विस को शार्ट करके चलाना पड़ रहा है। यही स्थिति रहती है तो आने वाले दिनों में बसों में डीजल भरवाने के लिए भी भारी परेशानियां पैदा हो जाएंगी।
यहां चंडीगढ़ और दिल्ली की सर्विस प्रभावित होकर रह गई है, वहीं जेएंडके व हिमाचल प्रदेश के लिए सर्विस पूरी तरह से बंद है। डिपो की रोजाना चलने वाली 65 बसों में से बड़ी मुश्किल से बीस से पच्चीस बसें ही रूट पर चल रही हैं। चल रही बसों में भी पच्चीस फीसद केवल महिलाओं की हैं, जिन्हें सरकार द्वारा किराया पूरी तरह से माफ किया हुआ है। बाकी सवारियों के साथ चलने से तेल-पानी का खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है। 27 सवारियां बिठाने से गुरेज कर रहे कंडक्टर
जागरण प्रतिनिधि ने पठानकोट डिपो का दौरा किया तो वहां खड़े कंडक्टरों ने बताया कि महिला फ्री बस सुविधा तथा लाकडाउन ने हालत खराब कर दिए हैं। दो महीनों में तो डिपो का कबाड़ा हो गया है। ऐसे में डिपो प्रबंधन द्वारा केवल उन्हीं बसों में तेल डालने की बात कही जा रही है जिन्हें रूट पर भेजना है। कंडक्टरों ने बताया कि वैसे तो सवारियां मिल ही नहीं अगर मिलती हैं तो उनके दिमाग में यह बात पहले आ जाती है कि 26 से ज्यादा न हों कारण अगर 26 से ज्यादा हो गई तो विभाग द्वारा बस का चालान कर दिया जाएगा। ऐसे में यहां उनके लिए दिक्कतें पैदा हो जाएंगी, वहीं अधिकारियों की बात सुनने के अलावा कोई ओर चारा नहीं। कंडक्टरों का कहना था कि बसों की सर्विस को ही डिपो पचास फीसद से चलाए तो बेहतर होगा। इससे जहां खर्चा बचेगा वहीं चलने वाली बसों को सवारियां भी मिल जाएंगी। सरकार जल्द भेजेगी फंड : जीएम
इस संदर्भ में जब पंजाब रोडवेज पठानकोट डिपो के जनरल मैनेजर दर्शन सिंह गिल से बात की तो उनका कहना था कि महिलाओं और पचास फीसद सवारियों के साथ बसें चलाने से डिपो को आर्थिक तौर पर नुकसान हुआ है, जिसके लिए सरकार द्वारा जल्द ही फंड भेजा जाएगा। बसों के लिए डीजल आ रहा है परंतु सवारियों की कमी के कारण बसों को शार्ट करके चलाना पड़ रहा है। जब तक सरकार की पूरी क्षमता के साथ बसों में सवारियां बिठाने की गाइडलाइन जारी नहीं होती तब तक पचास फीसद के साथ ही बसों को चलाया जाएगा।