'चुनावी वादे पूरे न करने वाले दल की मान्यता रद करने का कानून बने'
चुनाव बीतने के बाद लोगों से किए वादों को राजनीतिक पार्टियां किसी आई-गई बात की तरह भूल जाती हैं। उक्त विचार विधानसभा हलका सुजानपुर के बुद्धिजीवियों ने रखने के साथ इस संबंधी कानून बनाने की भी मांग की है।
संवाद सहयोगी, सुजानपुर: संसद में ऐसा कानून पारित किया जाना चाहिए कि चुनाव मेनिफेस्टो में किए गए वादे पूरे करने के लिए राजनीतिक दल विवश हो जाएं। चुनाव बीतने के बाद लोगों से किए वादों को राजनीतिक पार्टियां किसी आई-गई बात की तरह भूल जाती हैं। उक्त विचार विधानसभा हलका सुजानपुर के बुद्धिजीवियों ने रखने के साथ इस संबंधी कानून बनाने की भी मांग की है। साहित्य मंच सुजानपुर के अध्यक्ष डा. लेखराज ने कहा कि चुनाव में राजनीतिक पार्टियां झूठे वादे करती हैं। चुनाव जीतने के बाद जो राजनीतिक पार्टी सत्ता में आती हैं उनके लिए फिर जनता से किए वादे बीते कल की बात हो जाते हैं और नेता व राजनीतिक दल अपने हिसाब से काम करते हैं। वरिष्ठ नागरिक राजिदर धीमान का कहना है कि सबसे पहली जिम्मेदारी जनता की होती है। उन्हें पूरी ईमानदारी से मतदान करना चाहिए और किसी तरह के प्रलोभनों में आकर पांच साल बाद वोट करने के अधिकार को व्यर्थ नहीं करना चाहिए। इसके बाद जिम्मेदारी सरकार और नेता की है। उन्होंने कहा कि इन पर लगाम लगाने के लिए नामांकन के दौरान शपथ पत्र पर लिखवाकर लेना चाहिए कि जीतने के बाद वो जनता से किए वादों को पूरा करेंगे।
वरिष्ठ नागरिक ठाकुर बलवीर सिंह कहते हैं कि वे वोट करने से नहीं चूकते, लेकिन बहुत कम ऐसे नेता हुए हैं जोकि जीतने के बाद भी जनता को प्राथमिकता देते हैं।
भारत विकास परिषद के पूर्व प्रधान मोहन लाल डोगरा का कहना है कि यदि लोग ईमानदार होंगे तो सरकार को भी ईमानदार होना ही होगा।
वरिष्ठ नागरिक जागीर सिंह का कहना था कि सभी को चाहिए कि अपने वोट का इस्तेमाल कर लोकतंत्र को मजबूत बनाएं और जो भी नेता जीतकर आए उससे सवाल करें कि जो वादे उसने किए थे, अब उनको पूरा करने का समय आ गया है।
भारत भूषण महाजन ने कहा कि चुनावी घोषणा पत्र पूरा करने के लिए भारत सरकार को कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो राजनीतिक पार्टी सत्ता में आने के बाद अपना घोषणापत्र पूरा नहीं करती उसकी मान्यता रद होनी चाहिए।