अवैध कब्जों की भेंट चढ़ी कूहलें
दीपक कुमार/पंकज राय, बमियाल (पठानकोट) : सिर्फ शहरी क्षेत्र ही नहीं बल्कि जेएंडके की सीमा के साथ लगते
दीपक कुमार/पंकज राय, बमियाल (पठानकोट) : सिर्फ शहरी क्षेत्र ही नहीं बल्कि जेएंडके की सीमा के साथ लगते क्षेत्र में भी कूहलों का अस्तित्व खत्म अवैध कब्जों के कारण खत्म हो चुका है। करीब 2000 एकड़ उपजाऊ भूमि को ¨सचाई की सुविधा देने के लिए बनाई गई कूहलें अवैध कब्जों के कारण अपना अस्तित्व खो चुकीं है और पिछले लंबे समय से इस पर निर्भर किसान मजबूरी में आर्थिक संकट झेलते हुए खेत सींचने के लिए मोटर के पानी पर निर्भर हो रहे हैं।
जेएंडके से पंजाब में आने वाली कूहलों पर बमियाल क्षेत्र के गांव मुटठी से ही अवैध कब्जों का सिलसिला शुरू हो जाता है। कस्बा बमियाल तक अवैध कब्जों का दौर ऐसे ही बना हुआ है।
गांव मुट्ठी से कस्बा बमियाल तक करीब 2 से 3 किलोमीटर लंबी कूहल पर जगह-जगह कब्जे किए गए हैं। इन कब्जों को हटाने के लिए स्थानीय किसान कई बार प्रशासन से गुहार भी लगा चुके हैं। लेकिन आजतक प्रशासन ने अवैध कब्जा करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की है। जिससे कब्जाधारियों ने अपने हौंसले बुलंद करते हुए अवैध कब्जों को हटाने की बजाय और भी बढ़ा दिया। मोटरों पर निर्भर नहीं होते थे किसान
¨सचाई के लिए किसानों को किसी समय मोटरों पर निर्भर नहीं होना पड़ता था। किसानों के खेतों तक नहरों का पानी कूहलों द्वारा पहुंचता था। लेकिन कूहलें बंद होने के बाद किसानों को नहरों का पानी मिलना बंद हो गया। जिससे किसानों को मोटरों का सहारा लेना पड़ा। बोर करवाने के बाद लगने वाली मोटरों के कारण भूमिगत जल से खेतों को सींचा जाने लगा। इससे भूमिगत जल का स्तर भी कम होने लगा। वहीं दूसरी तरफ कई छोटे किसान अपनी थोड़ी जमीन के लिए मोटर नहीं लगवा सके। जिससे उनके उपजाऊ खेत पानी की कमी के कारण बंजर जमीन में तब्दील हो गए। इमारतें बनाई गई हैं कूहलों पर
जानकारी के मुताबिक गांव मुट्ठी से कस्बा बमियाल तक अधिकतर जगह पर यहां पहुंचने वाली कूहलों पर अवैध रूप से कब्जे कर इमारतें खड़ी की जा चुकी है जिससे इसका अस्तित्व मिट चुका है और इसके जरिए खेतों तक पहुंचने वाला पानी पिछले लंबे समय से गायब हो चुका है। जमींदारों में क्षतिग्रस्त कर दी कूहलें
कई जगहों पर जमींदारों की ओर से कूहल को क्षतिग्रस्त कर अवैध कब्जे किए हुए हैं। इसके इलावा सड़क किनारे निकलने वाली कूहलों पर कुछ लोगों की ओर से कंस्ट्रक्शन कर कूहलों को बंद कर दिया गया है और यह अवैध कब्जों की भेंट चढ़ अपना अस्तित्व खो चुकी है। प्रशासन भी जिम्मेदार
अस्तित्व खो चुकी कूहलों की दशा के लिए कहीं ना कहीं प्रशासन भी जिम्मेदार दिखाई दे रहा है क्योंकि यहां अवैध कब्जे हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। इसी का नतीजा है कि अवैध कब्जाधारियों की ओर से उपजाऊ भूमि के लिए वरदान मानी जाती कूहलों पर धड़ाधड़ अवैध कब्जे किए गए।