जगत सत्य है तो परमात्मा परम सत्य : जगद्गुरु
भागवत कथा के समापन समारोह के आयोजन में जगद्गुरु शंकराचार्य महाभाग ने भक्तजनों को आशीर्वाद दिया।
संवाद सहयोगी,पठानकोट : भागवत कथा के समापन समारोह के आयोजन में पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य महाभाग ने भक्तजनों को आशीर्वाद से ओतप्रोत किया। पुरी पीठाधीश्वर महाभाग का पदार्पण क्षेत्र में पूरे आठ वर्ष के बाद हुआ है। उनके दर्शन व मार्गदर्शन से क्षेत्रवासियों में एक नई उर्जा का संचार हुआ है।
उन्होंने कहा कि विश्व की ऐसी कोई भी समस्या नहीं है, जिसका समाधान भागवत कथा के माध्यम से नहीं होता। जगत सत्य है तो परमात्मा परम सत्य है। व्यक्ति के जीवन में अपेक्षित परिवर्तन के लिए धर्म का प्रतिपादन आवश्यक है। परमब्रह्मा परमात्मा निर्दोष और सम है। मीराबाई ने कहा था कि ऐसे पति को क्यों वरु जो जन्मे और मर जाए। परमात्मा को क्यों ना वरु, जो सदा रहने वाला है। सृष्टि का आलंबन लेकर हम सृष्टा परमात्मा तक पहुंच सकते हैं। जगत परमात्मा को जानने के लिए ही है। जानने योग्य भगवान है, ध्यान करने योग्य भी भगवान है। उन्होंने सभी को दिन में पांच बार उपासना करने का मार्गदर्शन दिया। उपासना का लक्ष्य यह होना चाहिए कि मेरा भला हो और मेरे जीवन का उपयोग सबके हित के लिए होगा। उन्होंने कहा कि केवल राम नाम का अर्थ समझ आ जाए तो पूरा ज्ञान प्राप्त हो जाता है और उसके साथ साथ भगवान भी प्राप्त हो जाते हैं। उन्होंने अपने उद्बोधन में आज की युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा करना माता-पिता का कर्तव्य है। नीति और अध्यात्म का जीवन ही उत्तम जीवन है।
राजा दक्ष के बेटों का संदर्भ सुनाते हुए महाभाग ने कहा कि जब वह शादी के योग्य हुए तो दक्ष राजा ने उनको दक्षिण तट पर तप करने के लिए भेज दिया ताकि उत्तम संतान की प्राप्ति हो सके। भागवत पाद ने कहा कि उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए तप करना पड़ता है। संगठन के लिए उन्होंने मार्गदर्शन देते हुए कहा कि संगठन के माध्यम से व्यक्ति जब समष्टिहित की भावना से कार्य करता है तो उसके जीवन में उत्कर्ष होता है। इस मौके पर घोह, मंगनी, रानीपुर, जुगियाल, पंगोली, छोटेपुर, सुजानपुर, गंदलालाहरी, झझेली, डडवा, चकमाधोसिंह, गोसाईपुर ,पड़ियांलाहरी आदि गांवों से संगत ने भागवत पाद का आशीर्वाद प्राप्त किया। संगत ने भागवत पाद के मार्गदर्शन के एक-एक सूत्र को धारण कर धर्म रक्षा राष्ट्र रक्षा के दिव्य अभियान में कार्य करने का संकल्प लिया।