राजा हरीशचंद्र की गाथा सुनाकर सत्य मार्ग का महत्व बताया
दीप नगर कॉलोनी में शिव राधे राधे महाराज जी के तत्वाधान से करवाई जा रही प्रथम श्रीमद् देवी भागवत कथा शतचंडी यज्ञ के पांचवें दिन सत्य मार्ग पर आचार्य लीलादेवी ने प्रवचन दिए।
संवाद सहयोगी, सुजानपुर : दीप नगर कॉलोनी में शिव राधे राधे महाराज जी के तत्वाधान से करवाई जा रही प्रथम श्रीमद् देवी भागवत कथा शतचंडी यज्ञ के पांचवें दिन सत्य मार्ग पर आचार्य लीलादेवी ने प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि सत्य का मार्ग बहुत ही कठिन है लेकिन जो इस मार्ग पर चलता है वह अपनी मंजिल पर अवश्य पहुंचता है। उन्होंने राजा हरीशचंद्र की गाथा भी सुनाई। उन्होंने एक किस्सा सुनाया कि एक बार राजा हरीशचंद्र ने सपना देखा कि उन्होंने अपना सारा राजपाठ विश्वामित्र को दान में दे दिया है। अगले दिन जब विश्वामित्र उनके महल में आए तो उन्होंने विश्वामित्र को सारा हाल सुनाया और अपना राज्य उन्हें सौंप दिया। विश्वामित्र ने राजा हरीशचंद्र से पांच सौ स्वर्ण मुद्राएं दान में मांगी। विश्वामित्र ने राजा को याद दिलाया कि राजपाठ के साथ राज्य का कोष भी वे दान कर चुके हैं। तब राजा ने अपनी पत्नी और पुत्र को बेचकर स्वर्ण मुद्राएं हासिल की लेकिन, वो भी पांच सौ नहीं हो पाईं। राजा हरीशचंद्र ने खुद को भी बेच डाला और सोने की सभी मुद्राएं विश्वामित्र को दान में दे दीं। अपनी मर्यादा को निभाया। इस मौके पर सुशील टंडन, शोभा टंडन, गौरव शर्मा, पार्षद कृष्णा देवी, पार्षद अनुराधा बाली, प्रिसिपल राममूर्ति शर्मा , तिलक राज शर्मा विक्रांत महाजन ,डॉ नरेश अग्निहोत्री, लकी, डॉक्टर चैन सिंह धीमान ,पुरुषोत्तम शर्मा, राममूर्ति शर्मा ,पंडित यदुनंदन शास्त्री उपस्थित थे।