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श्रद्धालुओं के लिए अच्छी खबर... मुक्तेश्वर धाम में बनेगा पंजाब का पहला रोप-वे, पांडवों ने यहां बिताए थे छह माह

पंजाब के पठानकोट स्थित मुक्तेेश्वर धाम में जल्द ही रोप वे का निर्माण होने जा रहा है। इस पर चार करोड़ रुपये खर्च होंगेेे। यह स्थान साढ़े पांच हजार वर्ष पुराना है। पांडवों ने यहां छह माह बिताए थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 11:03 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 11:03 AM (IST)
श्रद्धालुओं के लिए अच्छी खबर... मुक्तेश्वर धाम में बनेगा पंजाब का पहला रोप-वे, पांडवों ने यहां बिताए थे छह माह
मुक्तेश्वर धाम की फाइल फोटो । जागरण

पठानकोट [राज चौधरी]। 5506 साल पुराने मुक्तेश्वर धाम में पंजाब का पहला रोप-वे बनेगा। इस प्रोजेक्ट पर कुल चार करोड़ रुपये खर्च होंगे। दामोदर वैली कारपोरेशन की ओर से प्रोजेक्ट को तैयार किया जाएगा। श्रद्धालुओं के आने व जाने के लिए दो रोप-वे ट्रालियां लगाई जाएंगी, जिसमें बुजुर्ग, बच्चे व सीढ़ियां चढ़ने में असमर्थ लोग मंदिर तक पहुंच पाएंगे। जिले के गांव डूंग में बनने वाले प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने में जिला प्रशासन ने अनुमति दे दी है। उम्मीद है कि 24 जनवरी को दामोदर वैली कारपोरेशन के पदाधिकारियों की टीमें दौरा कर काम शुरू कर देंगी। 

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256 सीढ़ियां उतर कर 450 फुट नीचे जाना पड़ता है

मुक्तेश्वर धाम में माथा टेकने के लिए श्रद्धालुओं को 256 सीढ़ियां उतरनी पड़ती हैं और वापसी में भी इतना ही सफर करना पड़ता है। श्रद्धालुओं को कुल 512 सीढिय़ां उतरनी और चढ़नी पड़ती हैं। सड़क से यह दूरी लगभग साढ़े चार सौ फुट नीचे है। देश के विभिन्न हिस्सों से आए कुछ श्रद्धालु ऐसे भी थे जो इस मंदिर में माथा टेके बिना ही वापस चले जाते थे। इस कारण जिला प्रशासन ने प्रोजेक्ट पर विचार किया। 

पांडवों ने यहां बिताए थे अज्ञातवास छह महीने 

दंत कथा के अनुसार करीब 5506 साल पहले पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां छह माह का समय बिताया था। वे इस गुफा में छिप कर रहे थे। पांडवों ने इस गुफा में भगवान शिव की पूजा की अैर जीत का वरदान पाया था।

मिनी हरिद्वार के नाम से भी जाना जाता है मुक्तेश्वर धाम 

मुक्तेश्वर धाम को मिनी हरिद्वार के नाम से भी जाना जाता है, जो परिवार हरिद्वार में अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए नहीं जाते, वे यहां ङ्क्षपडदान करते हैं। काफी संंख्या में लोग यहां पर अस्थियां विसर्जित करते हैं। मान्यता है कि यहां माथा टेकने से कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।  

3800 कनाल जमीन के विवाद से लटका था प्रोजेक्ट

मुक्तेश्वर धाम कमेटी के चेयरमैन भीम सेन ने कहा कि गांव डूंग में बनने जा रहे इस प्रोजेक्ट पर 3800 कनाल जमीन के विवाद के कारण काफी लंबे समय से विराम लगा था। जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जे किए थे। कब्जों को हटाकर पहले पंचायत के नाम पर जिला प्रशासन ने इस जमीन को किया, अब वन विभाग के नाम पर इस जमीन को ट्रांसफर किया गया है। 

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा: डीएफओ

इस संबंध में डीएफओ (जिला वन अधिकारी) डा. संजीव तिवारी ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ही मुक्तेश्वर धाम में वन विभाग इस प्रोजेक्ट को तैयार करने के लिए कार्य शुरू कर चुका है। प्रोजेक्ट की संतुति के लिए सरकार को रूपरेखा तैयार कर भेजी जा चुकी है। मुक्तेश्वर धाम में बन रहे इस प्रोजेक्ट पर विभागीय स्तर पर हर तरह का सहयोग दिया जाएगा।


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