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बजट ने दिखाई राहत की राह, महंगाई की चुनौती बरकरार

शनिवार को सुजानपुर के मोहल्ला शहीद भगत सिंह के रमेश कुमार के परिवार की निगाहें टीवी स्क्रीन पर राहत भरे शब्द तलाश रही थीं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 11:11 PM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2020 11:11 PM (IST)
बजट ने दिखाई राहत की राह, महंगाई की चुनौती बरकरार
बजट ने दिखाई राहत की राह, महंगाई की चुनौती बरकरार

जागरण टीम, पठानकोट/सुजानपुर : बजट का आम आदमी की जेब और परिवार के बजट पर भी बहुत असर पड़ता है। शनिवार को सुजानपुर के मोहल्ला शहीद भगत सिंह के रमेश कुमार के परिवार की निगाहें टीवी स्क्रीन पर राहत भरे शब्द तलाश रही थीं। रमेश परिवार के मुखिया हैं। उनका अपना कारोबार है। पत्नी सुदेश कुमारी गृहणी हैं वे उम्मीद लगाए बैठी थीं कि महंगाई कम करने के लिए बजट में क्या घोषणा होती है। साथ में दोनों बहुएं थीं। दोनों बेटे जो नौकरी करते हैं। परिवार के सभी लोग अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े हैं और सभी अपने-अपने क्षेत्र के लिए बजट की घोषणाओं का अनुमान लगा रहा था। वित्त मंत्री ने कारोबारियों को सस्ता लोन, नौकरी पेशा के लिए टैक्स स्लैब में राहत जरूर दी लेकिन महंगाई को कंट्रोल करने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं बताया। मोदी सरकार के 2.0 बजट में परिवार में किसी के लिए बजट को लेकर खुशी दिखी तो किसी के मन में कसक रह गई।

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रमेश कुमार कारोबारी हैं और परिवार के मुखिया हैं। उन्होंने बताया कि उनका कारोबार आम लोगों की खरीदारी पर निर्भर करता है। सरकार ने कारोबारियों के लिए कुछ खास सौगात नहीं दी। सस्ते कर्ज का ऐलान कर कुछ राहत जरूर दी लेकिन उम्मीद इससे ज्यादा की थी। ---

रसोई में रहेगी महंगाई की गर्मी:

पत्नी सुदेश कुमारी परिवार की वित्त मंत्री हैं। वे कहती हैं कि रसोई का बजट संभाला किसी चुनौती से कम नहीं है। महीने का खर्च इतना बढ़ जाता है कि बजट डगमगा जाते हैं। बजट में सरकार ने महंगाई कम करने की नीति स्पष्ट नहीं की। रसोई में महंगाई की गर्मी तंग करती रहेगी। --- राष्ट्रीय भर्ती योजना बेहतर कदम : बहू अमनदीप प्रशिक्षित शिक्षिका हैं। वे कहती हैं कि उन्हें उम्मीद थी कि सरकार प्रशिक्षित युवाओं के रोजगार केलिए कोई नीति लेकर आती। राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी और शिक्षा क्षेत्र का बजट बढ़ाना अच्छा फैसला है। रोजगार के लिए की आस पर अनिश्चितता के बादल सरकार नहीं हटा पाई। --- महिलाओं के लिए बजट अच्छा :

बहू प्रियंका कहती हैं कि महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए 28,600 करोड़ रुपये का प्रावधान अच्छा कदम है। इन योजनाओं को सरकार धरातल तक कैसे लाती है, यह चुनौती होगी। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही समान अधिकार व सुरक्षा प्रदान करने में बजट सार्थक होगा।

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10 लाख होनी चाहिए थी टैक्स स्लैब:

परिवार का बेटे दीपक नौकरीपेशा हैं। बजट देखने के बाद वह थोड़ा मायूस हो गए। दीपक कहते हैं कि टैक्स स्लैब दस लाख होनी समय की जरूरत थी। इससे सेविंग बढ़ती। कर्मचारी वर्ग बजट से कई उम्मीदें थी। इस बजट से परिवार के लिए कुछ नया नहीं कर सकता।


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