फिलोरा युद्ध के वीरों फोर होर्स रेजिमेंट आज देगी श्रद्धांजलि
फोर होर्स रेजिमेंट का इतिहास गौरवमय रहा है। 11 सितंबर को हुई लड़ाई आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है जो कि आज भी कई सैनिकों को प्रेरणा दे रही है। 11 सितंबर 1965 को उप महाद्वीप के दो नवगठित देश सन 1947 में अपनी स्थापना के बाद 1
जागरण संवाददाता, पठानकोट: फिलोरा की लड़ाई में देश की खातिर जान गंवाने वाले महान वीर सपूतों को 11 सितंबर दिन शनिवार को फोर होर्स रेजिमेंट के सैनिक याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। कोविड के चलते मीडिया कर्मचारियों को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया। कार्यक्रम के दौरान सेना के अधिकारी मौजूद रहेंगे जो अपनी रेजिमेंट की फिलौरा युद्ध के दौरान की गई उपब्लि्धयों के बारे में जागरूक करते हुए शहीद सैनिक परिवारों को विशेष तौर पर सम्मानित करेंगे।
फोर होर्स रेजिमेंट का इतिहास गौरवमय रहा है। 11 सितंबर को हुई लड़ाई आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है जो कि आज भी कई सैनिकों को प्रेरणा दे रही है। 11 सितंबर 1965 को उप महाद्वीप के दो नवगठित देश सन 1947 में अपनी स्थापना के बाद 18 वर्षों में दूसरी बार युद्ध लड़ रहे थे। फिलोरा की ऐतिहासिक लड़ाई में सियालकोट सेक्टर में भारतीय वन आर्म्ड डिवीजन के अंदर फोर हार्स एक संपन्न टैंक रेजिमेंट थी जो आज भी अपना गौरवशाली गाथा के लिए प्रसिद्ध है। इस रेजिमेंट ने दुश्मन के 79 टैंकों और 17 आरसीएल बंदूकों को नष्ट किया था। इस दौरान फोर हार्स कमांडेंट लेफ्टिनेंट कर्नल एमएम बक्शी ने पाकिस्तान के तीन टैंक बर्बाद किए थे।
रेजिमेंट के इन महान योद्धाओं की बदौलत ही पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। इस रेजिमेंट को भारतीय सेना के इतिहास में एक मात्र ऐसी रेजिमेंट होने का अनूठा गौरव प्राप्त है, जिसमें एक साथ दो सेना कमांडर हैं। लेफ्टिनेंट जनरल आर एम बोहरा, एमवीसी, एवीएसएम जो पूर्व सेना कमांडर के रूप में सेवा निवृत्त हुए और लेफ्टिनेंट जनरल गुरिन्दर सिंह, पीवीएसएम, एवीएसएम, जिन्होंने उत्तरी सेना की कमांड संभाली। अपने 164 वर्षो के गौरवशाली इतिहास के साथ, 4 हार्स अभी भी युद्ध की तैयारी और सैनिक कौशल के मानकों को बनाए रखती है।