अंतिम अरदास पर नम आंखों से स्मरण किए गए बलिदानी गुरप्रीत
एसडीएम राजेश शर्मा ने कहा जो इंसान पैदा हुआ है उसे एक दिन इस नश्वर संसार को छोड़ कर जाना पड़ता है मगर समाज सेवा परोपकार व देश की सुरक्षा में प्राणों की आहुति देने वाले मरते नहीं अमर हो जाते हैं तथा कठिन परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी को निभाते हुए अपना बलिदान देकर वह देशवासियों को यह संदेश दे जाते हैं कि एक सैनिक के लिए राष्ट्र सर्वोपरी होता है।
संवाद सूत्र, पठानकोट: दस दिन पहले जम्मू-कश्मीर के सोपोर में कर्तव्य परायणता से ड्यूटी निभाते हुए अपना बलिदान देने वाले सेना की 14 पंजाब (22 आरआर) रेजिमेंट के 27 वर्षीय सिपाही गुरप्रीत सिंह निवासी मलिकपुर की अंतिम अरदास व श्रद्धांजलि समारोह कोटली सूरत मल्ली के गुरुद्वारा बाबा अवतार सिंह छतवाले में आयोजित की गई। बलिदानी की माता कुलविदर कौर, भाई सुमित पाल सिंह, एसडीएम राजेश शर्मा, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविदर सिंह विक्की, नायब तहसीलदार कर्णपाल सिंह, शहीद सिपाही प्रगट सिंह के पिता प्रीतम सिंह, शहीद सिपाही लवप्रीत सिंह के पिता सूबेदार जसविदर सिंह, शहीद नायक गुरचरण सिंह के पिता सलविदर सिंह, जिला रक्षा सेवाएं भलाई विभाग के फील्ड अफसर सूबेदार मेजर सिंह आदि ने विशेष तौर पर शामिल होकर शहीद को नमन किया। सर्वप्रथम श्री अखंड पाठ साहिब का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा बैरागमय कीर्तन कर शहीद सिपाही गुरप्रीत सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित किए। देश की सुरक्षा में प्राण की आहुति देने वाले मरते नहीं अमर हो जाते हैं: एसडीएम
एसडीएम राजेश शर्मा ने कहा जो इंसान पैदा हुआ है उसे एक दिन इस नश्वर संसार को छोड़ कर जाना पड़ता है, मगर समाज सेवा, परोपकार व देश की सुरक्षा में प्राणों की आहुति देने वाले मरते नहीं अमर हो जाते हैं तथा कठिन परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी को निभाते हुए अपना बलिदान देकर वह देशवासियों को यह संदेश दे जाते हैं कि एक सैनिक के लिए राष्ट्र सर्वोपरी होता है। उन्होंने कहा कि उनकी पीसीएस यूनियन पंजाब ने मीटिग कर यह फैसला किया है कि हर पीसीएस अधिकारी एक बलिदानी के परिवार को गोद लेकर उनका दुख दर्द बांटते हुए उनके होंसले को बुलंद रखेगा तथा यही इन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। शहीद एक संत सिपाही जिसका एक ही धर्म है इंसानियत : कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविदर सिंह विक्की ने कहा कि शहीद एक सच्चा संत सिपाही होता है, जिसकी कोई जात व मजहब नहीं होता उसका एक ही धर्म होता है, इंसानियत जिसकी सुरक्षा में वह अपने प्राणों का बलिदान दे कर अपना सैन्य धर्म निभा जाता है। उन्होंने कहा कि शहीद के अंतिम संस्कार व अंतिम अरदास के दिन ही शहीद के घर पर भीड़ जुटती है उसके बाद परिवार अकेला रह जाता है। इस मौके पर एएसआइ रंजीत सिंह, बलदेव सिंह, सुलक्खन सिंह, रछपाल सिंह, जगदेव सिंह, सतनाम सिंह, सूबा सिंह, गुरशरण सिंह, कुलवंत सिंह, संतोख सिंह, नरेंद्र सिंह, बलकार सिंह आदि उपस्थित थे।