अस्पतालों में पहले कोरोना टेस्ट, बाद में होगा उपचार
सिविल अस्पताल में उपचार से पहले कोरोना टेस्ट जरूरी कर दिया गया है।
संवाद सहयोगी, पठानकोट : सिविल अस्पताल में उपचार से पहले कोरोना टेस्ट जरूरी कर दिया गया है। इससे एक तरफ जहां फायदा हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ सामान्य और गंभीर मरीजों को परेशानी हो रही हैं। उनको कई घंटों तक उपचार के लिए भटकना पड़ता है। डॉक्टर बिना कोरोना टेस्टिग के मरीज का चेकअप करने से आना कानी करते हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अगर किसी मरीज में कोरोना का लक्षण दिखाई देता है तो ही उसे टेस्ट करवाया जाता है। सामान्य मरीजों की इसकी कोई जरूरत नहीं है।
सिविल अस्पताल में रोज की ओपीडी अब तीन सौ के करीब है। इनमें पांच प्रतिशत लोग पहले उपचार वाले होते हैं और 95 प्रतिशत लोग नए आ रहे है। यानी हर रोज 285 मरीज नए होते हैं, जिनको कोरोना टेस्ट के लिए बोला जाता है। सबसे पहले एक घंटा लाइन में खड़ा होकर पर्ची कटवाता है और जब वे डॉक्टर के पास उपचार के लिए पहुंचता है तो उसे दरवाजे से ही कोरोना टेस्टिग के लिए बोल दिया जाता है। इसके बाद मरीज एक घंटा कोरोना टेस्टिग के लिए लाइन में खड़ा होकर अपनी कोरोना टेस्टिग करवाता है। एक घंटा रैपिड एंटीजन मशीन रिपोर्ट देने में लगाती है। उपचार करवाने के लिए आए मरीजों को कम से कम तीन घंटे का समय बर्बाद हो जाता है।
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कोरोना जांच के लिए दो दिन से काट रहा चक्कर
बिहार के जिला सीतामढ़ी का रहने वाला राकेश झा वह श्रीनगर में मजदूरी का काम करता है। कुछ दिन पहले उसका एक्सीडेंट हो गया था। अब ठीक है और काम पर लौटना चाहता है। लेकिन जब वे माधोपुर बैरियर पर पहुंचा तो उसे कोरोना जांच के लिए कहा गया। बैरियर पर मौजूद सेहत कर्मियों का कहना था कि वे एक दिन में सिर्फ 60 लोगों की सैंपलिग करते है, इसलिए सिविल अस्पताल भेज दिया। वह दो दिन से सैंपलिग के लिए भटक रहा हूं।
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नहीं हुआ सुधार, तो बड़ी घटना होते देर नहीं
राहुल, अंजू, पंकज, सतबीर ने कहा कि
अगर अस्पताल में कोई गंभीर मरीज आता है तो उसे भी पहले कोरोना जांच के लिए इमरजेंसी डॉक्टरों की ओर से भेजा जाता है। जबकि डाक्टर का कर्तव्य ये बनता है कि वे पहले मरीज को उपचार की सुविधा दें और फिर उसे कोरोना जांच के लिए भेजा जाए।
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लक्षण दिखने पर करवाई जा रही कोरोना जांच
एसएमओ डॉ. भूपिद्र सिंह ने कहा कि अस्पताल में उपचार करवाने आने वाले मरीज में अगर कोरोना जैसे लक्षण दिखते हैं तो तभी उसे उपचार के लिए बोला जाएगा। अगर मरीज में कोरोना जैसे कोई लक्षण नहीं दिखते तो उसे पहले उपचार की सुविधा दी जाएगी।