कथलौर सेंक्चुअरी में वन्य संपदा को बचाने के लिए बिछाई गई फायर लाइन
लगभग हर साल आग की घटनाओं में जल कर राख होने वाली वन्य संपदा को बचाने के लिए कथलौर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में विभाग की ओर से 20 किलेामीटर की परिधि में फायर लाइन बिछाई गई है।
संवाद सहयोगी, पठानकोट : लगभग हर साल आग की घटनाओं में जल कर राख होने वाली वन्य संपदा को बचाने के लिए कथलौर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में विभाग की ओर से 20 किलेामीटर की परिधि में फायर लाइन बिछाई गई है। विभाग की ओर से इसके साथ ही ढिढोरा पिटवाकर आसपास के ग्रामीणों को चेताया गया है कि कोई भी व्यक्ति आगामी 15 जुलाई तक सेंक्चुअरी के साथ लगते खेतों में न तो आग जलाए और न ही सेंचुरी में दाखिल होने का प्रयास करे।
1800 एकड़ में फैली इस सेंक्चुअरी में बेहद दुलर्भ प्रजाति के जंगली जीवों के बसेरे हैं तथा इनकी सुरक्षा के लिए विभाग ने ये कदम उठाया है। इसका बड़ा कारण ये भी है कि यदि सेंक्चुअरी में आगजनी की घटना घटित होती है तो बिछाई गई इन फायर लाइनों से आगे आग नहीं फैलेगी तथा छोटे से एरिया में ही सीमित होकर अधिक नुकसान नहीं कर पाएगी ।
विभाग इस बार गर्मी में नहीं लेना चाहता रिस्क : डीएफओ
वन्य जीव विभाग के डीएफओ राजेश महाजन ने कहा कि साल 2006 में बनी कथलौर कौशल्या वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में फायर लाइन बिछाने के पीछे विभाग का मुख्य उद्देश्य किसी भी तरह की आग की घटना को रोकना है। उन्होंने कहा कि पूर्व समय में भी आगजनी की ऐसी छिटपुट घटनाएं घटित हो चुकी हैं। विभाग इस साल किसी भी तरह के रिस्क लेने के मूड में नहीं है। फायरलाइन के आगे नहीं बढ़ेगी आग
विभागीय अधिकारी मानते हैं कि सेंक्चुअरी के बीचों-बीच फायर लाइनें बिछाने के कारण यदि भीष्म गर्मी के मौसम में कहीं आग लग भी जाती हैं तो इन फायर लाइनों के कारण आग एक छोटे से क्षेत्र में ही सीमित हो जाती हैं। ऐसे में करोड़ों रुपये की वन्य संपदा का नुकसान नहीं होता। डीएफओ ने कहा कि पठानकोट तथा गुरदासपुर की इकलौती इस सेंक्चुअरी में किसी भी जानवर का रेस्क्यू करने के उपरांत छोड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि आज कथलौर कौशल्या वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी राष्ट्रीय महत्व प्राप्त कर चुकी है तथा इसमें देश भर से विलुप्त होने के कगार पर पहुंची चुके जीवों की प्रजातियों को संरक्षित करके रखा गया है।