फिलहाल चुनाव प्रचार की सामग्री की डिमांड कम..
हालांकि चुनाव प्रचार से संबंधित सामग्री रखने वाले दुकानदारों को अब भी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उनकी धंधा खूब चल निकलेगा और उनके द्वारा रखी गई चुनाव सामग्री बड़ी रैलियों और जनसभाओं की इजाजत मिलने के बाद तेजी से और थोक में बिकेंगी।
संवाद सहयोगी, माधोपुर: विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तो तेज हो गई हैं, लेकिन कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के चलते प्रशासन की ओर से 25 जनवरी तक बड़ी रैलियों और जनसभाओं पर रोक लगाई गई है। ऐसे में प्रत्याशियों के पास डोर-टू-डोर चुनाव के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। ऐसे में बीते चुनावों के मुकाबले इस बार चुनाव प्रचार से संबंधित चुनाव सामग्री फिर चाहे उसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनाव निशान वाली टोपियां हों, सिरोपे हों या अन्य सामग्री, उसकी बिक्री उतनी नहीं हो पा रही है जितनी चुनाव के सामान्य दिनों में होती है।
हालांकि चुनाव प्रचार से संबंधित सामग्री रखने वाले दुकानदारों को अब भी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उनकी धंधा खूब चल निकलेगा और उनके द्वारा रखी गई चुनाव सामग्री बड़ी रैलियों और जनसभाओं की इजाजत मिलने के बाद तेजी से और थोक में बिकेंगी। जिन प्रत्याशियों को टिकट मिल चुके हैं, उनकी ओर से पार्टी के निशान वाले झंडे, मफलर, टोपी, मास्क आदि सामग्री बनवा ली गई है अथवा कुछेक के द्वारा डिमांड कर दी गई है। आने वाले दिनों में चुनाव प्रचार के दौरान इन्हें बांट दिया जाएगा। साथ ही उम्मीद जताई जा रही है कि चुनाव प्रचार में भी तेजी देखने को मिलेगी।