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आठवीं पास सुदर्शना महिलाओं के लिए बनीं मिसाल, मिलेगा सम्मान

अ‌र्द्ध पहाड़ी क्षेत्र धार के गांव ककडुई की सुदर्शना देवी ने सिद्ध कर दिखाया है कि यदि हौंसले बुलंद हो तो ऐसा कोई कार्य नहीं जो महिलाएं न कर सकें।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Aug 2019 12:06 AM (IST)Updated: Sun, 11 Aug 2019 12:06 AM (IST)
आठवीं पास सुदर्शना महिलाओं के लिए बनीं मिसाल, मिलेगा सम्मान
आठवीं पास सुदर्शना महिलाओं के लिए बनीं मिसाल, मिलेगा सम्मान

संस, पठानकोट : अ‌र्द्ध पहाड़ी क्षेत्र धार के गांव ककडुई की सुदर्शना देवी ने सिद्ध कर दिखाया है कि यदि हौंसले बुलंद हो तो ऐसा कोई कार्य नहीं जो महिलाएं न कर सकें। ये सुदर्शना की मेहनत का नतीजा है कि 12 साल पहले आम चूरा तथा आम पापड़ का काम शुरू करने वाली इस महिला द्वारा तैयार आज कई उत्पादन मार्केट में हाथों हाथ बिक रहे हैं। लगातार हर्बल उत्पादनों की मांग के बाद अब इनकी ओर से तैयार आम, आंवला, आचार, मुरब्बे, मसाले तथा अन्य देसी सामान तैयार कर प्रोडेक्ट ऑनलाइन बेचे जा रहे हैं। महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन चुकी सुदर्शना को इसी उपलब्धि के लिए राष्ट्रीय स्तर पर महिला किसान अवॉर्ड के लिए चुना गया है। देशभर में इस अवॉर्ड के लिए 114 और पंजाब की चार महिलाओं में चयन हुआ है।

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2 प्रोडक्ट से शुरू किया था काम

महिला किसान सुदर्शना का पति सेना से रिटायर्ड हैं। साल 2002 में सुदर्शना ने जब इस कार्य को शुरू किया था तो उसने मात्र इसे शौक समझ कर इसकी शुरूआत की थी। तब सुदर्शना ने आम चूरा तथा आम पापड़ का उत्पादन ही शुरू किया था। धीरे-धीरे जैसे-जैसे इसकी डिमांड बढ़ी तो सुदर्शना ने गांव की ही 12 अन्य महिलाओं को साथ लेकर शिव शक्ति नाम पर एक सेल्फ हेल्प ग्रुप का गठन किया। इन महिलाओं की ओर से आम, कढ़ी पत्ता, आंवले, बड़ियां और बांस से बने 35 तरह के उत्पादन तैयार करने का कार्य शुरू कर दिया। अब इनकी ओर से ऑनलाइन बेच कर प्रतिवर्ष 80 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक कमाई की जा रही है। आठवीं कक्षा पास सुदर्शना का कहना है कि करीब एक दशक पहले जब उसने अपने शौक के लिये इस व्यवसाय को शुरू किया था तो उसे पता न था कि उसकी मेहनत इस कद्र रंग दिखाएगी।

थाइलैंड की टीम कर चुकी है दौरा

सुदर्शना की ओर से तैयार आचार, मुरब्बे, आंवला से तेयार प्रोडक्ट तथा जूस सहित अन्य कई प्रकार के हर्बल तैयार करने की प्रक्रिया को जाने के लिए थाइलैंड की एक टीम भी दौरा कर चुकी है। टीम ने सुदर्शना तथा उनके सेल्फ हेल्प ग्रुप द्वारा तैयार किए जाने वाले प्रोडक्ट का जायजा लिया अपितु ग्रुप की महिलाओं के साथ बातचीत भी की। उनकी ओर से इन्हें तैयार करने की विधि पर चर्चा की।

धारकलां की महिलाएं आगे आयीं

डीएफओ डॉ संजीव तिवारी ने बताया कि सुदर्शना की पहल के बाद पिछड़े धारकलां क्षेत्र की महिलाएं आगे आई है और सेल्फ हेल्प ग्रुपों का गठन कर हर्बल प्रोडक्टस तैयार करने लगी है। धारकलां, दुखनियाली, दुनेरा, फागली समेत कई जगहों पर एक सौ से अधिक ग्रुप बन गए हैं। कंडी प्रोजेक्ट के तहत वन विभाग ने भी इनकी मद्द की है। सब्सिडी पर आंवला मशीन,मसाला ग्राइंडर तथा लाखों रूपए की लागत से इन्हें एक शैड बनाकर दी गई है ताकि इनकी ओर से इस शैड में वस्तुओं का उत्पादन कर इन्हें संरक्षित किया जा सके।

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