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राहत.. डाक्टरों की हड़ताल खत्म, डेढ़ माह बाद 400 सरकारी ओपीडी

डाक्टरों की हड़ताल को वीरवार पूरा डेढ़ माह हो गया था और इसी बीच अस्पताल में उपचार करवाने आ रहे मरीजों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 10:47 PM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 10:47 PM (IST)
राहत.. डाक्टरों की हड़ताल खत्म, डेढ़ माह बाद 400 सरकारी ओपीडी
राहत.. डाक्टरों की हड़ताल खत्म, डेढ़ माह बाद 400 सरकारी ओपीडी

संवाद सहयोगी, पठानकोट: डेढ़ माह बाद डाक्टरों की हड़ताल खत्म होने पर लोगों ने राहत की सांस ली है। वीरवार सुबह से ही अस्पताल में उपचार करवाने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई। इसके बाद सभी लोगों ने अपनी बारी अनुसार डाक्टरों से चेकअप करवाया। डाक्टरों की हड़ताल को वीरवार पूरा डेढ़ माह हो गया था और इसी बीच अस्पताल में उपचार करवाने आ रहे मरीजों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। वहीं, सिविल सर्जन कार्यालय भी बंद होने से दिव्यांग प्रमाण पत्र, असलहा लाइसेंस, ड्राइविग लाइसेंस व अन्य कई प्रकार के काम लोगों ने करवाए है।

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सिविल में पहले सरकारी ओपीडी बंद होने से सिर्फ इमरजेंसी वार्ड में ही पर्ची काटी जा रही थी और इससे सरकारी फंड को भी नुकसान पहुंच रहा था। भले ही पर्ची फीस दस रुपये है परंतु सरकारी खजाने का नुक्सान तो लग ही रहा था। इस डेढ माह में इमरजेंसी वार्ड की ओपीडी सौ से ऊपर नहीं गई। वीरवार को आखिर र्ची काउंटर व सरकारी डिस्पेंसरी भी खुली रही है। सरकारी ओपीडी में करीब 400 मरीजों ने चेकअप कराया। सरकारी ओपीडी खुलने से चार सौ के करीब लोगों ने चेकअप कराया।

वहीं पीसीएमएसए के जिलाध्यक्ष डा. मदर मट्टू ने कहा कि सरकार ने डाक्टरों की मांगें तो मान ली हैं, लेकिन तनख्वाह के साथ एनपीए 25 प्रतिशत लगाने की जगह 20 प्रतिशत ही लगाया गया है। इसलिए सभी डाक्टरों में अभी भी सरकार के प्रति रोष पाया जा रहा है। फिलहाल डाक्टरों ने वीरवार को हड़ताल खत्म कर दी है। स्टेट बाडी के साथ सभी डाक्टरों की मीटिग चल रही है और शाम तक जो भी स्टेट बाडी का निर्णय होगा, उसी के आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। मीटिंग के बाद ही फैसला होगा कि हड़ताल जारी रखनी है या नहीं। पैरलल ओपीडी में नहीं वो बात जो सरकारी ओपीडी में

राजेश, चमन, सरिता, पुष्पा, सीमा व सोनू ने बताया कि वे सिविल में उपचार के लिए आए हैं और आज उन्हें सभी प्रकार की सरकारी मेडिकल सुविधाएं मिलीं। पैरलल ओपीडी में सिर्फ दवा ही मिलती थी और बाकी सुविधा नहीं मिल पाती थी। इमरजेंसी में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। कुछ लोग तो थक कर घर लौट जाते थे। उन्होंने सेहत विभाग व सरकार से अपील की कि सरकारी मेडिकल सुविधा लगातार चलाई जाए, ताकि गरीब व्यक्ति को दर-दर की ठोकरें न खानी पड़े। यह मिली सुविधा

सिविल में 120 के करीब लोगों की टेस्टिग हुई। 60 के करीब एक्स-रे हुए। करीब दस लोगों ने आयुष्मान कार्ड बनवाए। 30 के करीब जनरल मेडिकल के कार्य हुए। 350 लोगों को निश्शुल्क दवा मिली और चार इलेक्टिव सर्जरी की गी।


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