कोरोना : लीची कारोबारियों के चेहरों पर छाए संकट के बादल
कोरोना वायरस के कारण जहा सभी कारोबार मंदी की मार झेल रहे हैं वहीं लीची कारोबार पर भी संकट के काले बादल छाना शुरू हो गए हैं।
जागरण टीम, पठानकोट/ सरना : कोरोना वायरस के कारण जहा सभी कारोबार मंदी की मार झेल रहे हैं, वहीं लीची कारोबार पर भी संकट के काले बादल छाना शुरू हो गए हैं। जिले में लीची के कारोबार से जुड़े 20 हजार बागवानों को चिंता सताने लगी है कि पिछली बार की तरह इस बार भी उन्हें लागत भी नसीब नहीं हो पाएगी। लेबर व ठेकेदार न मिलने के कारण लीची एस्टेट होने के बाद भी जिला के बागवानों के लिए समस्या पैदा हो गई हैं।
बागवानों का कहना है कि सरकार लीची बागवानों के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाती। इस कारण वह पिछले दो वषों से देाहरी मार झेल रहे हैं। यही हाल रहा तो आने वाले समय में बागवान इससे किनारा करना शुरु कर देंगे। रोष जताते हुए बागवानों ने जिले के गाव जमालपुर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सरकार के खिलाफ रोष जताया। इस दौरान बागवानों ने राज्य सरकार के खिलाफ उनकी लंबित मागों की अनदेखी को लेकर नारेबाजी भी की।
लीची कारोबारी रिटायर्ड कैप्टन अर्जुन सिंह, ज्योति बाजवा, रघुबीर सिंह, गौरव, सरदार जागीर सिंह आदि ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से बनाई गई पॉलिसी में किसानों की यदि फसल खराब हो जाती है तो उन्हें पूरा मुआवजा दिया जाता है, लेकिन, बागवानों खास तौर पर लीची कारोबारियों के लिए ऐसी कोई पॉलिसी नहीं है। जबकि, उन्हें अपना बाग तैयार करने में 15 वर्ष का समय लग जाता है। वह किसानों के विरोधी नहीं हैं, परंतु जिस तरह उनके लिए विशेष मुआवाजे का प्रावधान होता है उसी प्रकार बागवानों के लिए भी विशेष प्रावधान होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पिछले साल किसी ने सोशल मीडिया पर लीची खाने से चमकीनी बुखार होने की वीडियो वायरल कर दी थी। इस कारण पूरा सीजन ही खराब हो गया था। इस बार कोरोना से उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। कोरोना की वजह से न तो दूसरे राज्यों से बागों की खरीददारी करने के लिए खरीददार आ रहे हैं और न ही लेबर। जबकि, अगले पंद्रह दिनों बाद लीची की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। ठेकेदार नहीं आएंगे तो उनके लिए भारी मुसीबतें पैदा हो जाएंगी और न चाहते हुए भी उन्हें अपनी फसल कौड़ियोंके भाव बेचनी पड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बेशक लॉकडाउन में लोगों को रियायतें दी हैं, इसके बावजूद इसके शाम सात बजे से लेकर सुबह सात बजे तक सरकार ने कफर्यू घोषित किया हुआ है। ऐसे में उन्हें मंडियों में फसल भेजना मुश्किल हो जाएगा। पठानकोट में लीची कारोबार
- 15 हजार हेक्टेयर में लीची की फसल होती है
- इस व्यवसाय से 20 हजार परिवार जुड़े
- पूरे साल की कमाई इन्हीं दो महीनों पर निर्भर
- पठानकोट में अनुमानित 130 करोड़ लीची का कारोबार
- पठानकोट के अलावा प्रदेश एवं देशभर में लीची की डिमाड होती है