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सख्त मिजाज-वफादारी और राष्ट्रीय संगठन में पैठ से फिर पाई अश्विनी शर्मा ने कमान

सख्त मिजाज-रौबीला अंदाज रखने वाले अश्विनी शर्मा का वार्ड प्रधान से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष तक का सफर संघर्ष से गुजरा है। प्रदेश भाजपा संगठन के चुनाव के समय से ही उनका नाम दावेदारों में उबरकर सामने आया था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 08:09 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 06:11 AM (IST)
सख्त मिजाज-वफादारी और राष्ट्रीय संगठन में पैठ से फिर पाई अश्विनी शर्मा ने कमान
सख्त मिजाज-वफादारी और राष्ट्रीय संगठन में पैठ से फिर पाई अश्विनी शर्मा ने कमान

वीरेन पराशर, पठानकोट : सख्त मिजाज-रौबीला अंदाज रखने वाले अश्विनी शर्मा का वार्ड प्रधान से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष तक का सफर संघर्ष से गुजरा है। प्रदेश भाजपा संगठन के चुनाव के समय से ही उनका नाम दावेदारों में उबरकर सामने आया था। यूं तो इस पद की पंक्ति में कई बड़े नाम थे पर पठानकोट से नाम उबरने से यह संकेत दे गया कि अश्विनी शर्मा का सख्त मिजाजी और रौबदार व्यक्तित्व हाईकमान को पसंद आया। अश्विनी शर्मा की पार्टी के प्रति वफादारी के साथ राष्ट्रीय राजनीति में पैठ दोबारा इस पर काबिज करवा गई। उनके चयन के बाद पठानकोट जिले का कद भाजपा में अब पहले मुकाबले और बढ़ा है। पठानकोट विधानसभा से ताल्लुक रखने वाले अश्विनी शर्मा ने पिछले कुछ अरसे में स्थानीय राजनीति में पकड़ रखने के साथ ही राज्य राजनीति में भी रूचि बरकरार रखी। यही कारण था कि स्थानीय संगठन को चलाने में सक्रिय रहे पर छोटे मुद्दों की बजाय राज्य व राष्ट्रीय मुद्दों को अधिक तवज्जो देना उनकी हमेशा से रणनीति रही। नेताओं व वर्करों को एकजुट करना हो या अनुशासन का पाठ पढ़ाना, अश्विनी शर्मा का सख्त अंदाज हर कार्यक्रम में देखने को मिल जाता है। संगठन के मसले विरोधियों को घेरने के साथ ही अंदरखाते की राजनीति को निपटने के तौर तरीके बखूबी जानते हैं। आरएसएस के साथ भी घनिष्ठता

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अश्विनी शर्मा के चयन की पटकथा अंदरखाते लंबे समय से लिखी जा रही थी। बतौर प्रदेश प्रधान उनका कार्यकाल भाजपा के बेहतर प्रदर्शन के तौर पर जाना जाता है। प्रदेश प्रधान पद के कार्यकाल के दौरान ही उनके राष्ट्रीय नेताओं के साथ अच्छे संबंध बने। इसके साथ ही आरएसएस के साथ भी उनकी घनिष्ठता लंबे समय से बनी हुई है।

राज्य और राष्ट्रीय संगठन के साथ बना रहा संपर्क

साल 2012 में विधायक का चुनाव हारने के बाद से भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बने, इससे भी उनका संपर्क राज्य और राष्ट्रीय संगठन के साथ बना रहा। पुराने संबंधों को ताजगी देने के लिए समय-समय पर आला नेताओं से उनकी मुलाकातें जारी रहीं। प्रदेश प्रधान के तौर पर कार्य करने के बाद प्रदेश में भाजपा के प्रथम पंक्ति के नेताओं में भी उनका नाम उबरकर सामने आने लगा। सनी दियोल के कवरिंग कैंडिडेट भी थे शर्मा

लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गुरदासपुर से सनी दियोल को उम्मीदवार बनाया तो कवरिग कैंडिडेट के लिए अश्विनी शर्मा को रखा गया। संगठन में उनके पुराने कार्यो के साथ ही आरएसएस की फीडबैक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के करीबी राज्य हिमाचल से होने पर भी उनका कई नेताओं के माध्यम से पैरवी राष्ट्रीय संगठन तक पहुंची। एबीवीपी के साथ कॉलेज के दिनों से जुड़े शर्मा

कॉलेज समय से एबीवीपी के साथ अश्विनी शर्मा का जुड़ाव रहा। जबकि भाजपा के साथ सक्रिय राजनीति शुरू करने पर वार्ड प्रधान बने। पूर्व मास्टर मोहनलाल के साथ पार्टी विकास के लिए काम किया। भाजयुमो जिला गुरदासपुर प्रधान, प्रदेशाध्यक्ष सहित पठानकोट मंडल के अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया। साल 2011 में पार्टी ने प्रदेशाध्यक्ष का दायित्व सौंपा। साल 2011 में विधायक टिकट मिला और जीते। जबकि, 2017 के विस चुनाव में हार झेलनी पड़ी।


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