वीआइपी नंबर का झांसा देकर 44 हजार ठगे
जिले में शातिर बैंक कर्मी बनकर खाते व पासवर्ड लेने के साथ ही लाटरी और सामान बेचने तक के फार्मूले बनाकर लोगों को ठग रहे हैं।
संवाद सहयोगी, पठानकोट/ मामून : जिले में शातिर बैंक कर्मी बनकर खाते व पासवर्ड लेने के साथ ही लाटरी और सामान बेचने तक के फार्मूले बनाकर लोगों को ठग रहे हैं। शुक्रवार को थाना मामून में ऐसा ही एक आनलाइन ठगी का मामला दर्ज हुआ है। शातिरों ने मोबाइल का वीआइपी नंबर देने के झांसे में 44 हजार ठग लिए। गौरव गोयल निवासी निवासी बताया कि उसका मोबाइल नंबर फेसबुक अकाउंट से जुड़ा है। एक व्यक्ति ने मैसेज भेजा कि उनकी कंपनी एनआइ टेलीकाम वर्ल्ड मोबाइल वीआईपी नंबर देती है। अगर अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करेंगे तो आपको एक वीआइपी नंबर दिया जाएगा। गौरव ने पेटीएम के जरिए उसके खाते में 44 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। पैसे ट्रांसफर करने के बाद उक्त व्यक्ति ने ना तो कोई वीआइपी नंबर भेजा और न ही उसके पैसे वापस किए। इंस्पेक्टर भारत भूषण ने कहा कि आरोपित की तलाश की जा रही है।
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ये भी हैं मामले
पहला मामला-45 हजार की चपत
मामून थाना में हवलदार जगदेव सिंह से एक व्यक्ति ने सेना का जवान बताकर 45000 रुपये जमा करवा लिए। बाद में उन्हें पता चला कि उक्त एकाउंट किसी हितेश नाम के व्यक्ति का है।
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दूसरा मामला : 60 हजार लुटाए
बुंगल में एक व्यक्ति ने लाटरी निकलने का झांसा देकर साठ हजार रुपये ठग लिए। दूसरी बार भी जब व्यक्ति पैसा जमा करवाने आया तो एटीएम गार्ड ने उसे राशि जमा करने से रोक दिया।
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तीसरा मामला : 5.74 लाख गंवाए
सुजानपुर में 5 लाख 74 हजार आनलाइन पैसे खाते से निकल गए। सुखपाल सिंह के मुताबिक उसने अपनी लड़की की शादी के लिए जीपीएफ 5 लाख निकाल बैंक में जमा करवाया था। सतर्क रहें लोग : एसएसपी
एसएसपी गुलनीत खुराना ने कहा है कि लोग पैसों के लेनदेन को लेकर सतर्क बनें। किसी भी अनजान शख्स पर भरोसा न करें। अपने आनलाइन ट्रांजेक्शन की जानकारी किसी से भी साझा न करें। जिस अज्ञात नंबर या साइट से मैसेज या काल आए तो इसकी जानकारी पुलिस को दें। इससे अन्य लोगों को ठगी से बचाया जा सकता है।
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ये बरतें सावधानियां
- अपने मोबाल को लाक रखें
- खाता पासवर्ड किसी से साझा न करें
- किसी भी अनजान काल पर बैंकिग की जानकारी न दें
- अपना एटीएम किसी को भी प्रयोग करने न दें
- फोन या सोशल मीडिया अकाउंट पर लाटरी के संदेश को इग्नोर करें
- वन टाइम पासवर्ड यानी ओटीपी को किसी को न बताएं
- समय - समय पर पासवर्ड बदलतें रहें
- बैंक खाते से मोबाइल नंबर जोड़ें, जिससे कि लेनदेन की जानकारी मिलती रहे
- फ्राड होने पर अपने बैंक से संपर्क करें