पहली बार गडवॉल, इरोशन क्यूट्स व कॉमन मोरहैन की झलक
संवाद सहयोगी, पठानकोट : पिछले तीन माह से विभिन्न देशों से आकर पठानकोट के केशोपुर छंब में रह रहे विदे
संवाद सहयोगी, पठानकोट : पिछले तीन माह से विभिन्न देशों से आकर पठानकोट के केशोपुर छंब में रह रहे विदेशी प¨रदों की वन्य जीव विभाग ने गणना कर ली है। इस गणना में इस साल इनकी संख्या 21040 पाई गई जिसमें पक्षियों की 75 प्रजातियां पहुंची। इसमें इरोशन क्यूट्स, कॉमन मोरहैन तथा गडवॉल की प्रजातियां बड़ी संख्या में पहली बार देखने को मिली। सुबह 5 बजे शुरू हुई इस गणना में देश भर के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों व पक्षीविद् ने शिरकत कर इस कार्यो में सहयोग किया। नवम्बर में आए ये पंरिदे अब मौसम में गर्माहट आने के बाद वापस लौटना शुरू कर देंगे। तीन माह पहले आए इन पक्षियों के लिए वन्य जीव विभाग की ओर से भी सभी तैयारियां पहले ही पूरा कर ली थी। इनके शिकार को रोकने के लिए जहां विभागीय स्तर पर टीमों का गठन किया गया था वहीं दूसरी ओर लगातार सेमिनार लगाकर लोगों को जागरूक भी किया गया।
ये प्रजाजियां हैं छंब में
एशियन ओपनबिल्ड स्टॉर्क, ब्लैक हैडिड आइबिस, फेरूगिनियस पोचार्ड, ब्राह्ममिणी चील, वेस्ट्रन मार्श हैरियर, वेस्टर्न ऑस्प्रे, नार्थन लैप¨वग, वाटर रैल, नार्थन पिनटेल डक, ब्लैक कूट, पर्पल मोरहैन, ग्रे लैग बूस, विजन इत्यादि। विभागीय अधिकारियों के अनुसार ये वह प्रजातियां हैं जो लगातार विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं।
छठी बार पूरा हुआ गणना का काम
विभागीय अधिकारियों के अनुसार इस साल हुई जनगणना में पिछले साल की अपेक्षाकृत विदेशी पक्षियों की संख्या में कोई बड़ा इजाफा नहीं हुआ जबकि पक्षीविदें ने इस साल इनकी संख्या 25 हजार से अधिक होने की लगाई थी। जानकारी के अनुसार वर्ष 2012-13 में केशोपुर छंब में 8500 पक्षी आए थे। इसी प्रकार साल 2013-14 में इनकी संख्या बढ़ कर 18500 हो गई। साल 2014-15 में 20180 तथा 2015-16 में इनकी संख्या 24000 का आंकड़ा पार कर गई। साल 2016-17 में इनका आंकड़ा करीब 21000 पाया गया। साल 2017-18 में इनकी संख्या 21040 रह गई।
चार टीमों ने सिरे चढ़ाया गणना का काम
वैज्ञानिक गणना को सिरे चढ़ाने के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया से गीतांजलि, चंडीगढ़ बर्ड्स क्लब से रीमा ढिल्लों, सर्वजीत कौर तथा कल्पना, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से अमनदीप ¨सह व जागृति संस्थान नंगल से प्रभात भट्टी, नेचर गाइड राकेश कुमार सहित वन्य जीव विभाग पठानकोट की टीम इस गणना का खास तौर पर हिस्सा बनी।
गणना के समय सैलानियों के प्रवेश पर लगाई रोक
डीएफओ राजेश महाजन ने कहा कि वह पक्षियों की गणना के कार्य को पूरी सफलता के साथ सिरे चढ़ा लिया गया है। ये गणना तड़के सुबह 5 बजे शुरू की गई थी जिसमें छंब के इर्द-गिर्द झंडे लगा दिए गए थे। इन झंडों से इस बात का ध्यान रखा गया कि कोई पक्षी यदि उड़ कर दूसरे सेक्टर में जाए तो उसका आसानी से पता लगाया जा सके। उन्होंने बताया कि गणना के दिन केशोपुर छंब पर आने वाले सैलानियों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई थी ताकि गणना का कार्य प्रभावित न हो।