ब्लॉक प्राइमरी दफ्तर घरोटा में शिफ्ट, शहरी स्टाफ में रोष
राज चौधरी, पठानकोट : पठानकोट के ढांगू रोड स्थित ब्लॉक प्राइमरी कार्यालय का स्थान बदलकर घरोटा और नाम
राज चौधरी, पठानकोट : पठानकोट के ढांगू रोड स्थित ब्लॉक प्राइमरी कार्यालय का स्थान बदलकर घरोटा और नाम शिक्षा दफ्तर पठानकोट- 1 एट घरोटा रख दिया गया है। डीईओ ने बताया कि फिलहाल ये दफ्तर घरोटा के एक प्राइमरी स्कूल में चलाया जाएगा। ग्रांट मिलने पर अपना दफ्तर तैयार किया जाएगा। शहर से शिफ्ट होकर करीब 30 किलोमीटर दूर गांव घरोटा में दफ्तर स्थापित होने से शहरी तथा ग्रामीण शिक्षा कर्मी आमने-सामने हो गए। शहरी क्षेत्र में रहने वाले स्टाफ ने जहां 1954 में स्थापित इस दफ्तर के शिफ्ट होने की कड़े शब्दों में ¨नदा की तथा शिक्षा मंत्रालय के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों कर्मियों ने इसे उनकी छह साल बाद जीत बताई। ब्लॉक प्राइमरी दफ्तर पठानकोट-1 में तैनात शिक्षा कर्मियों के शिष्टमंडल ने शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए इस तुगलकी फरमान की पूरी तरह से विरोध किया। उन्होंने शिक्षा विभाग के खिलाफ नारेबाजी की तथा चेताया कि यदि इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो वह संघर्ष पर उतर जाएंगे।
आदेश जारी होने के बाद मचा हड़कंप
शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुमार ने आदेश जारी किया गया था। इस पत्र के मिलते ही आज जिला शिक्षा प्राइमरी अफसर कुलवंत ¨सह की ओर से आगामी कार्रवाई के लिए इस पत्र की पालना करने हेतु आगे समूह स्टाफ को लिखा गया। स्टाफ तक जानकारी पहुंचते ही हड़कंप मच गया। स्टाफ के सदस्यों ने आपस ने चर्चा की तथा फिर रोषस्वरूप नारेबाजी। उन्होंने मांगपत्र विधायक अमित विज को देने उनके निवास स्थान पर पहुंच गए।
शहरी में स्कूलों की संख्या है 90 प्रतिशत से अधिक
नारेबाजी कर रहे शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने रोष जताया कि ब्लॉक प्राइमरी शिक्षा विभाग कार्यालय पठानकोट-1 के साथ 81 सरकारी तथा 90 के करीब प्राइवेट स्कूल जुड़े हुए हैं। उनका दावा है कि मात्र दस से पन्द्रह प्रतिशत स्कूल ही ऐसे हैं जोकि ग्रामीण क्षेत्र के साथ जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन स्कूलों में चलने वाले मिड डे मील से लेकर हर तरह की फाइनांसर प्रक्रिया तथा सरकार की ओर से दी जाने वाली हिदायतें, डिमांड इत्यादि पत्राचार इन्हीं दफ्तरों से कंपाइल होकर आगे भेजी जाती है। परन्तु इन दफ्तरों के करीब तीस किलोमीटर दूर घरोटा चले जाने के बाद जहां शहरी क्षेत्र से जुड़े स्कूलों को अति-अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी वहीं दूसरी ओर मी¨टग तथा अन्य जरूरी कार्यो के लिए भी उनकी परेशानियां बढ़ जाएंगी।
पांच साल पहले बनी थी शिफ्िटग की योजना
जानकारी के अनुसार करीब पांच साल पहले पठानकोट के इस कार्यालय को शिफ्ट करने की योजना बनी थी परन्तु तब भी शिक्षा विभाग के कर्मियों के रोष प्रदर्शन के आगे मंत्रालय को झुकना पड़ा था। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि सरकार इस कार्यालय को शिफ्ट करना चाहती है तो कोई बीच का रास्ता निकाले। संभवत हो तो इस दफ्तर को मिनी सचिवालय में शिफ्ट कर दिया जाए।
22 लाख रुपये क ग्रांट घरोटा दफ्तर के लिए मिलेगी : डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी ऐलीमेंटरी कुलवंत ¨सह ने बताया कि ये योजना उनकी ज्वाइ¨नग से पहले बनी थी। उन्होंने कहा कि साल 2015-16 में उस समय के डीईओ डॉक्टर जरनैल ¨सह के समय इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार को भेजा गया था। अब दो साल के तीन साल के बाद इस योजना को सरकार की ओर से अंतिम रूप दिया गया है। उन्होंने बताया कि उन्हें इस बात की सूचना भी है कि करीब 22 लाख रुपये की ग्रांट की इस दफ्तर को घरोटा में बनाने के लिए हो चुकी है।