मन की शांति के लिए नाम वाणी का सिमरन जरूरी : स्वामी दयाल दास
शिवालिक की पहाड़ियों की गोद में स्थित तप स्थान बौहड़ी साहिब जो ब्रह्मलीन बाबा सरवन दास की तपो भूमि से प्रसिद्ध है।
संवाद सहयोगी, काठगढ़ : शिवालिक की पहाड़ियों की गोद में स्थित तप स्थान बौहड़ी साहिब जो ब्रह्मलीन बाबा सरवन दास की तपो भूमि से प्रसिद्ध है। वहां पर तप स्थान के गद्दी नशीन स्वामी दयाल दास महाराज की देखरेख में मकर संक्रांति तथा जेठ मंगलवार होने पर आज भक्तों का भारी सैलाब देखने को मिला। पंजाब के अलग-अलग शहरों से संगत कुलां वाली सरकार, बाबा सरवन दास को सजदा करने के लिए पहुंचे और स्वामीदयाल दास का आशीर्वाद प्राप्त किया। संगत को संबोधित करते हुए स्वामी दयाल दास ने कहा कि मनुष्य शांति की तलाश में हमेशा रहता है। हर कोई जीवन में शांतमय माहौल रखना पसंद करता है, लेकिन मन की शांति के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है, वह है नामवाणी का सिमरन। संत और महापुरुष हमेशा समाज की भलाई ही चाहते हैं और पूर्ण संत जो भी है वह समाज का सही मार्गदर्शन चाहता है। गुरु महाराज कुल्लां वाली सरकार ब्रह्मलीन बाबा सरवन दास महाराज को आज भी संगत याद करती है। उनके द्वारा स्थापित किए गए कई धार्मिक स्थान क्षेत्र की जनता के लिए आस्था का केंद्र बने हुए है। उनके द्वारा खोले गए शिक्षा केंद्रों का आज भी लोग लाभ उठा रहे हैं। इस अवसर पर संत महापुरुषों के अलावा पूर्व सरपंच जो¨गदर पाल दत्त, ठेकेदार सुरजीत भाटिया, जसपाल भाटिया नंबरदार, शंकर दास, पूर्व सरपंच सत्या भाटिया, सोहन लाल, बलवीर भाटिया सरपंच आदि उपस्थित थे।