शीत लहर ने बढ़ाई कंपकंपी, अभी राहत के आसार नहीं
पिछले कई दिनों से शीत लहर चलने से ठंड में बढ़ोतरी हो रही है। इससे लोग परेशान हैं।
जागरण टीम, नवांशहर/काठगढ़ : पिछले कई दिनों से शीत लहर चलने से ठंड में बढ़ोतरी हो रही है। इससे लोग परेशान हैं। ठंड से बचाव के लिए हीटर व अलाव का सहारा ले रहे हैं। दूसरी ओर धुंध की वजह से वाहन चालकों को भी समस्याएं आ रही हैं। वीरवार को सुबह पड़ी धुंध के कारण सड़कों पर विजिबिलिटी 100 मीटर से भी कम रह गई। वाहन रेंग-रेंग कर सड़कों पर चल रहे थे। सुबह सात बजे तो विजिविलिटी 50 मीटर से भी कम रही। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया वैसे ही धुंध से राहत भी मिली। शीत लहर चलने के कारण ठंड में कोई कमी नहीं आई। अधिकतम तापमान 16 डिग्री व न्यूनतम 8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। लंगड़ोया कृषि केंद्र के डायरेक्ट मनोज शर्मा का कहना है कि 23 तक ऐसा ही मौसम रहेगा और शीतलहर चलने के कारण अधिकतम तापमान में और गिरावट आएगी। ऐसे में आने वाले दिनों में ठंड से किसी प्रकार की राहत मिलने की संभावना कम है। - गहरी धुंध के कारण सड़कों पर वाहन रेंगते हुए निकल रहे थे। हालांकि वाहन चालक भी सर्तक नजर आए। सुबह के समय सड़कों पर वाहनों की संख्या कम रही। वाहन चालक लाइट जलाकर चल रहे थे, ताकि हादसा न हो। जनवरी की शुरुआत से ही ठंड व कंपकंपी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था। इससे जन जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। लोग जरूरी कार्यों तक को स्थगित करने को मजबूर हो उठे थे तो मजदूरी आदि करके रोज कमाने-खाने वालों के समक्ष आर्थिक तंगी खड़ी हो चुकी है।
सुबह बस यात्री भी डिपो पर देरी से पहुंच रहे थे। सुबह नौ बजे तक बस अड्डे पर सन्नाटा छाया रहा। रोडवेज कर्मियों का कहना है कि सुबह व दोपहर को सवारी मिल जाता है, लेकिन देर शाम को लगातार धुंध पड़ने व ठंड बढ़ने से बस अड्डे पर सवारी नहीं मिल रही है। ज्यादातर लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं। बसें व अन्य वाहन भी धीमी गति से अपनी मंजिल की ओर बढ़ती देखे गए। इस कारण लोग अपने गंतव्य पर देरी से पहुंचे।
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-वहीं बाजारों में आम दिनों के मुकाबले काफी कम रौनक दिखी। ठंड के कारण कपड़ों की दुकानों पर एक बार फिर से मांग बढ़ गई। लोगों को स्वेटर और जैकेट की खरीदारी करते हुए देखा गया। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में भी धुंध का कहर जारी रहेगा। कहीं-कहीं बारिश भी हो सकती है। वहीं ठंड का असर फसलों पर भी पड़ रहा है।