कोरोना संक्रमितों के इलाज में न हो कोई कमी
कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। लोगों का मानना है कि देश के विभिन्न हिस्सों में आक्सीजन व बेड की किल्लत के चलते कोरोना मरीजों के इलाज में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होनी चाहिए।
जयदेव गोगा, नवांशहर : कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। लोगों का मानना है कि देश के विभिन्न हिस्सों में आक्सीजन व बेड की किल्लत के चलते कोरोना मरीजों के इलाज में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होनी चाहिए।
हेडमास्टर रमेश मुरगई ने कहा कि जिले के डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मी मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। शासन प्रशासन भी मौजूदा स्थित को संभालने में जुटा हुआ है। कोरोना संक्रमण की इस दूसरी लहर से निपटने के लिए लोगों द्वारा मिल जुलकर प्रयास करने की भी बहुत जरूरत है। मौजूदा स्थितियों और आक्सीजन की निर्विघ्न सप्लाई पर समाज सेवी संस्थाओं को भी नजर रखने की जरूरत है, क्योंकि जिस महामारी को भारी आर्थिक कीमत चुकाकर सख्त कदमों के सहारे कंट्रोल किया गया था, उसे हमने फिर से आमंत्रित कर लिया है। जानकारों का कहना है कि करीब 50 फीसदी आबादी को टीका लगाने के बाद हार्ड इम्यूनिटी का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। और दुनिया की 50 प्रतिशत आबादी को टीका लगाने में कम से कम दो साल लगेंगे। इसलिए हमें एहतियाती कदमों के साथ जीना सीखना होगा। प्रिसीपल अशोक शर्मा का कहना है कि जिले के जो मरीज इस समय मुश्किल हालात में या वेंटीलेटर पर हैं, उन्हें कोई परेशानी नहीं आनी चाहिए। ऐसे मामलों में शासन प्रशासन के साथ लोगों के सहयोग की भी जरूरत होती है। समाज सेवी संस्थाओं को चाहिए कि किसी भी प्रकार की आपात स्थित में सहयोगी रैवये के साथ स्वास्थ्य विभाग की टीमों से अपना संपर्क बनाए रखें। जिले में आक्सीजन की कालाबाजारी नहीं होने दी जानी चाहिए। जो भी ऐसी गतिविधियों में शामिल पाया जाए, उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए।अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के लिए 75 प्रतिशत बैड सुरक्षित रखे जाने चाहिए। इस समय नवांशहर के सरकारी अस्पताल में छह मशीनें हैं, जिससे कि अभी तक आक्सीजन के लिए कोई परेशानी नहीं है। कोविड-19 के बढ़ रहे मामलों के मद्देनजर सभी अस्पतालों में आक्सीजन और बेड की कमी न हो, इसके लिए जागरूकता बहुत जरूरी है।