शुगर रोगी को ब्लैक फंगस से सतर्क रहने की जरूरत : डा. गीतांजलि
सेहत विभाग की तरफ से ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) संक्रमण की रोकथाम के लिए जागरूकता मुहिम छेड़ी जा रही है।
जागरण संवाददाता, नवांशहर
सेहत विभाग की तरफ से ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) संक्रमण की रोकथाम के लिए जागरूकता मुहिम छेड़ी जा रही है। प्रदेश में ब्लैक फंगस संक्रमण निरंतर बढ़ रहा है, जिससे बचने के लिए सर्तक रहने की जरूरत है। हालांकि नवांशहर में ब्लैक फंगस का एक भी मामला सामने नहीं आया है फिर भी लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है।
सीनियर मेडिकल अधिकारी डा. गीतांजलि सिंह ने शुक्रवार को एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि सेहत विभाग म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) से पीड़ित मरीजों की जान बचाने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों के विश्लेषण के बाद यह बात सामने आई है कि म्यूकर माइकोसिस के मामलों में शुगर रोग एक बड़ा कारक है।
डा. गीतांजलि ने बताया कि म्यूकर माइकोसिस के 25 प्रतिशत केस 18 -45 उम्र वर्ग, 38 प्रतिशत केस 45 -60 उम्र वर्ग और 36 प्रतिशत केस 60 साल से ज्यादा की उम्र वाले व्यक्तियों में रिपोर्ट हुए हैं। उन्होंने कहा कि म्यूकर माइकोसिस के तकरीबन 80 प्रतिशत केस कोविड के हैं और म्यूकर माइकोसिस के 87 प्रतिशत मामलों में शुगर की बीमारी के बड़े कारक के तौर पर सामने आई है। 32 प्रतिशत मामलों में बीमारियों के साथ लड़ने की सामर्थ्य कम पाई गई है। उन्होंने कहा कि मरने वाले 43 मरीजों में से 88 फीसद कोविड से पीड़ित थे, 80 फीसद मरीज शुगर के के से पीड़ित थे। उन्होंने उन मरी•ाों से अपील की जिन का टेस्ट कोविड पाजिटिव आया है या जो हाल ही में कोविड से पीड़ित रहे हैं और जिन को शुगर भी है, उनको स्टीरोआइड का प्रयोग करने से बचना चाहिए। डाक्टरों के साथ सलाह करनी चाहिए यदि उनको नाक बंद, नाक में से काले रंग का डिस्चार्ज या मुंह के अंदर रंग बदलता महसूस होता है, जिससे उनका इलाज जल्दी से जल्दी शुरू किया जा सके।
उन्होंने कहा कि हमें ब्लैक फंगस से सचेत रहने की जरूरत है, क्योंकि कोरोना मरीजों के लिए ब्लैक फंगस घातक सिद्ध हो सकती है। बेकाबू शुगर के रोगी, कम इम्युनिटी वाले व्यक्ति, स्टीरायडज या इम्युनोमेडुलेटरों के साथ कोविड -19 से सेहतमंद हुए व्यक्ति, लंबे समय आक्सीजन पर रहने वाले मरी•ाों को इस संक्रमण का ज्यादा ़खतरा है। उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस का कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत न•ादीकी सरकारी अस्पताल में नाक, कान, गला, मेडिसन, छाती रोगों के माहिर या प्लास्टिक सर्जन के साथ संपर्क करके जांच करवानी चाहिए, जिससे समय पर इस संक्रमण का इलाज हो सके।