ठंड में लोग होने लगे बीमार, ओपीडी पहुंची 700 के पार
कड़ाके की पड़ रही ठंड के कारण जहां जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है वहीं लोग बीमार भी होने लगे हैं।
जागरण संवाददाता, नवांशहर : कड़ाके की पड़ रही ठंड के कारण जहां जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है, वहीं लोग बीमार भी होने लगे हैं। 15 दिन में जिला अस्पताल की ओपीडी 700 के पार पहुंच चुकी है।
इस कड़ाके की ठंड से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। अधिकतर लोग जो सुबह निकलकर टहलने के लिए जाते थे ठंड के कारण वे नहीं जा पा रहे हैं। घरों में ही योग व व्यायाम कर रहे हैं। लोग गर्म रहने के लिए हीटरों व कोयले का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं रेडिमेड कपड़ों व इलेक्ट्रानिक दुकानों पर गर्म व कपड़ों व हीटरों की बिक्री में काफी तेजी आ गई है। जिलेभर में सर्दी का प्रकोप जारी है। सर्दी के मौसम में ठंडक बढ़ने के साथ ही सर्दी-जुकाम चर्म रोगियों की संख्या भी बढ़ने लगी हैं। वहीं धुंध के कारण वाहन चालकों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
-एसएमओ डा.मनदीप कमल का कहना है कि ठंडक बढ़ने के साथ ही दैनिक काम के तरीकों में मामूली बदलाव करते हुए ठंड में घर से बाहर निकलने से बचें। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्म कपड़े, दस्ताने, मफलर आदि पहनकर ही निकलें। गर्म ताजा खाना ही खाएं। आवश्यकता अनुसार गर्म पेय पदार्थों का सेवन करते रहें। ठंडी वस्तुओं ठंडे भोजन से परहेज करें। अस्थमा रोगी सर्दी के दौरान घर से बाहर नहीं निकलें। चिकनाई युक्त खाना नहीं लें। उन्हें अस्थमा की नियमित दवा में मात्रा थोड़ी बढ़ानी भी पड़ सकती है। उन्होंने बताया कि ठंड से नसें सिकुड़ जाती है। खून जमने लगता है। कामकाजी महिलाओं को काम के दौरान गर्म पानी इस्तेमाल करना चाहिए। सुबह-शाम गर्म पानी में नमक डालकर हाथ-पैरों को धोना चाहिए। बच्चों बड़ों को नारियल तेल की मालिश करने से चमड़ी में रूखेपन से बचा जा सकता है। ठंडे मौसम में शरीर को टच करने वाले सूती कपड़े ऊपर सिथेटिक कपड़े पहने जा सकते हैं। वातावरण में ठंडक बढ़ने पर मानव शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इससे वायरल रोग जैसे कि बुखार, जुकाम, खांसी गले में तकलीफ बढ़ जाती है। अस्थमा रोगियों की श्वास नलिकाओं में बलगम के जम जाने से श्वास लेने में तकलीफ होने लगती है। ऐसे रोगियों के फेफड़े कमजोर होने से खांसने में भी परेशानी होती है।
--आईवी अस्पताल के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डा.करण अरोड़ा बताया कि इस मौसम में बच्चों का मां को विशेष ध्यान रखना चाहिए। तापमान कम होने पर बच्चों को पूरा ढके रखें। नवजात से छह माह तक के बच्चों को मां का दूध अधिक मात्रा में पिलाया जाना चाहिए। बच्चों मां के पैर सिर ढके रहने चाहिए। बच्चों को ठंडा पानी ठंडे पेय पदार्थों का इस्तेमाल करने दें। बच्चों को गुनगुना पानी ही पिलाएं। उन्होंने बताया कि जन्म से पांच माह तक के बच्चों को ब्रोंकाइटिस इसके बाद चार-पांच साल तक के बच्चों को ब्रुंकुलाइटिस होना सामान्य बात है। इस मौसम में नाक से फेफड़ों तक के रोग हो सकते हैं, बाद में निमोनिया अस्थमा में भी तब्दील हो सकते हैं।