लड़का-लड़की में भेदभाव खत्म करने का लिया प्रण
राष्ट्रीय बालिका दिवस देश भर में 24 जनवरी को मनाया जाता है।
वासदेव परदेसी, नवांशहर : राष्ट्रीय बालिका दिवस देश भर में 24 जनवरी को मनाया जाता है। उक्त दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लड़कियों को लेकर लोगों में पनी गलत धारणाएं, कन्या भ्रूण हत्या को रोकना तथा उन्हें समानता का अधिकार दिलाने का है। यह संदेश घर-घर पहुंचना चाहिए कि लड़कियां न केवल हमारा बेहतरीन आज हैं, बल्कि सुनहरा भविष्य हैं। आज सभी को लड़का-लड़की में भेदभाव न करने और देश में व्यापक अनुपात की असमानता को ठीक करने का प्रण लेना चाहिए। एक दिन नहीं पूरे साल चले प्रयास : सुनीता रानी
सुनीता रानी का कहना है कि देश भर में लड़कियों को लेकर बने कानून सख्ती से लागू होने चाहिए। बाल विवाह, घरेलू हिसा, दहेज प्रताड़ना आदि सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए सभी को आगे आकर ठोस कदम उठाने चाहिए। सिर्फ एक दिन ही नहीं बल्कि पूरा साल यह अभियान लगातार जारी रहना समय की जरूरत है। लड़कियों के हो रहे शोषण को खत्म करना होगा : प्रि. तरणप्रीत
प्रि. तरणप्रीत कौर वालिया का कहना है कि देश की बेटियां आजकल हर क्षेत्र में हिस्सेदारी रखती हैं। सामाज में लोगों के बीच बालिकाओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए और समाज में लड़कियों की स्थिति को बढ़ावा देने के लिए और सामाजिक भेदभाव और शोषण को खत्म करने के लिए कार्रवाई जरूरी है। लड़कियों को यह बहुत जरूरी है कि वह अपने अधिकारों के प्रति जरूर जागरूक हों। चल रही योजनाओं पर करना होगा काम : सोनिया अंगरीश
चेयरपर्सन सोनिया अंगरीश का कहना है कि समाज में लड़िकयों की स्थित को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं बालिका के नाम पर चल रही, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना आदि। भारत में लिंग के अनुपात के खिलाफ कार्य करना तथा बालिका के बारे में लोगों की सोच को बदलने के लिए जागरूकता कार्यक्रम होने जरूरी हैं। इस दिन को मनाने का लक्ष्य तभी पूरा होगा, जब इन पर पूर्ण रूप से माज साथ देगा। लड़कियों पर हो रहे अत्याचार पर रोक लगानी चाहिए : डा. गुरजीत
डा. गुरजीत कौर संधू का कहना है कि यह दिन मनाए जाने के बावजूद हर रोज मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म होने के समाचार सामने आ रहे हैं। लड़कियों पर हो रहे जुल्म की घटनाओं ने हमारे समाज को कलंकित कर दिया है। भारत की बदकिस्मती है कि एक तरफ तो हम कन्या पूजन करते हैं, लेकिन जब कहीं कन्या पैदा होती है तो कई घरों में दुख का माहौल पैदा हो जाता है। ऐसी बुराइयों को रोकना समय की मुख्य जरूरत है। आज की लड़कियां लड़कों के मुकाबले हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। जिस समाज में महिला मजबूत व सुरक्षित है, वह समाज खुशहाल रहता है।