जिले की सड़कों पर दौड़ रहे उम्र पूरी चुके वाहन, प्रशासन मौन
शहर का ट्रैफिक विभाग इतना लापरवाह है कि उनके सामने प्रतिदिन कागजों में डेथ करार दिए जा चुके करीब दो दर्जन टेंपो सड़कों पर दौड़ रहे हैं लेकिन विभाग उन पर कार्रवाई करने की कोई जरूरत नहीं समझता।
सुशील पांडे,नवांशहर : शहर का ट्रैफिक विभाग इतना लापरवाह है कि उनके सामने प्रतिदिन कागजों में डेथ करार दिए जा चुके करीब दो दर्जन टेंपो सड़कों पर दौड़ रहे हैं लेकिन विभाग उन पर कार्रवाई करने की कोई जरूरत नहीं समझता। हाईकोर्ट ने भी इन टेंपो के चलने पर रोक लगा रखी है, इसके बावजूद ये बेझिझक सड़कों पर ट्रैफिक कर्मियों की आंखों के सामने सवारियां ढो रहे हैं। यह सब हफ्ते से मिल रहे आशीर्वाद के कारण चल रहा है। और तो और अधिकतर टेंपो चालकों के पास न परमिट है और न ही इंश्योरेंस। इसके बावजूद इनके गिरेबां में हाथ डालने वाला आरटीए विभाग अंधा बना है। सारा खेल जिला ट्रांसपोर्ट कार्यालय की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता। उदासीनता के आलम में खासकर यही टेंपो क्षमता से अधिक सवारियां लेकर चलते हैं। इन्हें कोई पूछने वाला कोई नहीं होता, जबकि आरटीए और पुलिस अधिकारी अकसर वाहन चालकों से उनकी आरसी, इंश्योरेंस, एनओसी और प्रदूषण सर्टिफिकेट आदि चेक करता नजर आता है।
अधिकारी जानबूझकर नहीं करते कोई कारवाई
विभागीय अधिकारियों को हफ्ता (सप्ताह में पैसा) पहुंच जाता है जिसके कारण वे नियमों को ताक पर रखकर चल रहे टेंपो की तरफ वे देखते तक नहीं हैं। इस तरह के टेंपों चालक ही इस बात पर मुहर लगाते हैं कि सब कुछ सेटिंग से चल रहा है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर जिला ट्रांसपोर्ट विभाग इन पर कार्रवाई क्यों नहीं करता है। सवाल खुद-ब-खुद खड़ा हो जाता है कि अगर आरटीए विभाग सच्चा है तो ऐसे वाहनों को बाउंड क्यों नहीं किया जाता।
टेपों के स्टेयरिग व गियर भी रामभरोसे
आम लोगों के वाहनों को तो कागजात न होने पर उन्हें बाउंड तक कर दिया जाता है। चौकों पर खड़े होकर ट्रैफिक पुलिस सिर्फ दोपहिया वाहनों का चालान काटने में मस्त रहती है। शहर में चल रहे दो दर्जन के करीब चलने वाले टेपों के स्टेयरिग व गियर की कमांड भी रामभरोसे होती है। भारी भरकम धुआं निकलने से पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है। सड़कों पर इनकी वजह से हादसे भी होते रहते हैं, क्योंकि यह पीछे तक सवारियों को बिठाने में गुरेज नहीं करते।
दूसरे वाहनों को भी खतरा, बलाचौर, बंगा व राहों में भी समस्या
पूराने हो चुके टेंपो पर सफर करने वाले लोगों की जान तो जोखिम में रहती है, साथ ही ऐसे वाहन दूसरे वाहनों के लिए भी खतरनाक होते हैं। ये कई बार दुर्घटना का कारण बनते हैं। नवांशहर ही नहीं बल्कि बलाचौर, बंगा और राहों के आसपास भी बिना परमिट व बिना इंश्योरेंस के पुराने टेंपो सवारियां ढो रहे हैं।
यातायात के नियमों का भी नहीं करते पालन पुराने टेंपो लाने वाले चालक सिर्फ कानूनी तौर पर डेड हो चुके टैंपों को चला कर ही नियमों की अवहेलना नहीं कर रहे हैं, बल्कि ये लोग यातायात नियमों की पालना भी नहीं करते हैं। ये हमेशा ओवरलोड ही चलते हैं। जब तक सवारियां क्षमता से ज्यादा नहीं भर लेते तब तक ये अपना टेंपों स्टार्ट तक नहीं करते हैं। सवारियां बिठाने के लिए इन लोगों ने जगह-जगह अड्डे बना रखे हैं।
जांच में और ज्यादा सख्ती की जाएगी
ट्रैफिक इंचार्ज रत्न सिंह ने कहा कि ऐसे वाहनों की चेंकिंग में और ज्यादा सख्ती की जाएगी। जो भी टेंपो नियमों पर खरे उतरते नहीं पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।