राम मंदिर आंदोलन से शुरू से ही जुड़े हैं नरेंद्र जैन
जब से राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ है तब से नरेंद्र कुमार जैन इसके साथ जुड़े रहे हैं। चाहे वह 1989 का शिलान्यास कार्यक्रम हो या पूरे जिले में प्रमुखता से संचालन फिर 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या तक पहुंचना
संवाद सूत्र, बंगा (वि) : जब से राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ है तब से नरेंद्र कुमार जैन इसके साथ जुड़े रहे हैं। चाहे वह 1989 का शिलान्यास कार्यक्रम हो या पूरे जिले में प्रमुखता से संचालन, फिर 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या तक पहुंचना, 1992 में कई-कई मील लंबा पैदल सफर करते हुए अयोध्या पहुंचना, 6 दिसंबर को उस ऐतिहासिक घटना का साक्षी होना और उसके बाद में अपने दल के साथ वहां से ईंट लेकर लौटना और तब से एक संकल्प करना कि जब तक मंदिर निर्माण नहीं होगा तब तक वह दाढ़ी (शेव) नहीं करूंगा और इस संकल्प का आज तक पालन करना। उनके पुत्र वरूण जैन ने बताया कि इसके बाद राम मंदिर के लिए जितने भी आंदोलन, जितनी बार भी कोई भी यात्रा निकली, उस यात्रा का प्रमुखता से संचालन करना यह कुछ घटनाएं हैं जिनको सुनते, देखते, समझते हम बड़े हुए हैं। तब से लेकर आज तक हम सभी राम मंदिर के निर्माण की इस घड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे। अभी पिछले ही साल राम मंदिर के लिए चार दिन रथ यात्रा पूरे जिले के हर गांव में होते हुए निकाली, उसमें भी चारों दिन उनके पिता रथ के साथ रहे, तो इस आंदोलन में तन, मन, धन के साथ जुड़े रहे।