कैप्टन के कुर्सी छोड़ने सबसे ज्यादा असर बंगा विधानसभा सीट पर
कैप्टन अमरिदर सिंह की ओर से कांग्रेस पार्टी के विधायकदल के नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बंगा विधानसभा क्षेत्र कि कांग्रेस पार्टी में हलचल हो गई है
जगदीश लाल कलसी, बंगा
कैप्टन अमरिदर सिंह की ओर से कांग्रेस पार्टी के विधायकदल के नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बंगा विधानसभा क्षेत्र कि कांग्रेस पार्टी में हलचल हो गई है। देखने में आया है कि कैप्टन अमरिदर सिंह के विरोधी खेमे में रहे बंगा के विधायक चौधरी त्रिलोचन सिंह सूंढ के गुट में खुशी की लहर है तथा कैप्टन अमरिदर सिंह के आशीर्वाद से विगत लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी में शामिल होने वाले दूसरी पार्टियों के राजनेता कशमकश में है।
गौरतलब है कि नवजोत सिंह सिद्धू के पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद बंगा में शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह की प्रतिमा पर जब पहली बार फूल अर्पित करने आए थे, तो कैप्टन अमरिद्र सिंह के समर्थकों ने उनका स्वागत नहीं किया था, बल्कि चौधरी त्रिलोचन सिंह सूंढ गुट के लोग सिद्धू का स्वागत करने के लिए खटकड़कलां पहुंचे थे। बंगा की सड़कों पर त्रिलोचन के बोर्ड नजर आ रहे थे। हालांकि जिला योजना कमेटी के चेयरमैन व सतवीर सिंह पल्ली झिक्की के खेमे के लोग खटकड़कलां में नहीं पहुंचे थे, फिर भी उनमें से कमलजीत बंगा, रघुवीर बिल्ला, ठेकेदार राजिदर सिंह, हरप्रीत सिंह कैंथ, डा. बख्शीश सिंह, चौधरी मोहनलाल ने सिद्धू का स्वागत किया था। मगर इन नेताओं को तो त्रीलोचन सिंह सूंढ के मुकाबले कम अहमियत मिली थी।
बंगा विधानसभा सीट से टिकट के लिए कैप्टन खेमे से कमलजीत बंगा, मोहनलाल सूद, डा. बख्शीश सिंह, हरप्रीत कैथ, राजिदर सिंह ठेकेदार, सोखीराम बज्जो, चौधरी मोहन लाल बंगा से दावेदार थे। इसके अलावा कैप्टन विरोधी खेमे में बंगा के पूर्व विधायक चौधरी त्रिलोचन सिंह सूंढ प्रमुख दावेदार हैं। चौधरी त्रिलोचन सिंह सूंढ के अलावा होशियारपुर से पूर्व सांसद रही संतोष चौधरी की बेटी भी बंगा विधानसभा सीट से टिकट के लिए जोर आजमाइश कर रही हैं।
जहां तक हरप्रीत सिंह कैंथ का मामला है उनको कैप्टन सरकार के दौरान न कोई खास समर्थन नहीं मिला है इसीलिए वे भी अपने लिए राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू की ओर देख रहे थे। क्योंकि हरप्रीत सिंह कैंथ के पिता पूर्व सांसद तथा पूर्व विधायक सतनाम सिंह कैंथ ने लंबा समय कांग्रेस में काम किया तथा वह आदमपुर विधानसभा हलके से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। कांग्रेस ने हमेशा ही उन्हें हारने वाली सीटें दी, मगर सतनाम सिंह कैंथ ने हमेशा कांग्रेस को बढ़त दिलाकर बेशक सीट हार गए, मगर जीत के करीब लाकर खड़ा कर दिया। विगत चुनावों व सतनाम सिंह कैंथ को बंगा विधानसभा की सीट मात्र चुनाव के 20 दिन पहले अलाट की गई थी, जिसके चलते वह लोगों के साथ समर्थन नहीं जुटा सके। सिटिग विधायक चौधरी त्रिलोचन सिंह सूंढ ने उनका खुलकर विरोध किया था, जिसके चलते वह जब बंगा से चुनाव हार गए तथा सतनाम सिंह कैंथ की मौत के बाद उनके बेटे हरप्रीत सिंह कैंथ राजनीति में उतर आए। युवा चेहरा होने के साथ-साथ व लोगों में काम करने के लिए चर्चित है। अगर कांग्रेस पार्टी उन्हें बंगा का चेहरा बनाती है तो नए सिरे से बंगा में पार्टी का पुनर्गठन होगा।
कैप्टन समर्थकों के लिए खुला है भाजपा का द्वार : संजीव
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता संजीव भारद्वाज का कहना है कि अगर जिला में कैप्टन अमरिदर सिंह के समर्थक भाजपा की सदस्यता ग्रहण करना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। पार्टी में उन्हें उनका सम्मान मिलेगा। क्योंकि कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कैप्टन अमरिदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए जो तरीका अपनाया वह गलत है। पार्टी कैप्टन अमरिदर सिंह का भी स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि अगर कैप्टन अमरिदर सिंह भाजपा में आए तो उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा पंजाब चुनाव के दौरान बनाया जाएगा।
बंगा से कांग्रेस का सफाया तय : मनोहर लाल
आम आदमी पार्टी के महासचिव मनोहर लाल गाबा ने कहा कि कैप्टन अमरिदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद कांग्रेस पार्टी का बंगा विधानसभा क्षेत्र में पूर्ण सफाया है। अब बंगा में आम आदमी पार्टी की संभावनाएं प्रबल हो गई है तथा आने वाले चुनाव में बंगा में आप ही चुनाव जीतेगी। इसके अलावा अच्छे व्यक्तित्व वाले राजनीतिक लोगों का स्वागत होगा।
बंगा सीट से शिअद-बसपा की जीत तय : प्रवीण
बहुजन समाज पार्टी के बंगा विधानसभा इंचार्ज प्रवीण बंगा का कहना है कि बंगा में अब कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व खत्म हो गया है। अकाली दल तथा बहुजन समाज पार्टी गठजोड़ की जीत बंगा में निर्विरोध तय हो गई है। बंगा विधानसभा का दलित समुदाय अब पूर्ण रूप में अकाली दल के साथ है जुट जाएगा।
बंगा के पूर्व विधायक चौधरी त्रलोचन सिंह सूंढ का कहना है कि कांग्रेस में बदलाव समय के मुताबिक किया गया है। कांग्रेस में दिनों दिन बढ़ रही दरार को खत्म करने के कांग्रेस हाईकमांड का फैसला उचित है। आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत इस बदलाव पर निश्चित है।